पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ मुस्लिम देशों से एकजुट होने का आह्वान किया है. उन्होंने सोमवार को ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन (ओआईसी) के सदस्य देशों के इस्लामाबाद स्थित राजदूतों से मुलाकात की और इस्लामोफोबिया से निपटने और अंतर-धार्मिक विश्वास व सद्भाव को बढ़ावा देने के तौर-तरीकों पर चर्चा की. ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन की स्थापना 1969 में की गई थी जिसके करीब 57 देश सदस्य हैं.
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पीएम इमरान खान ने यह बैठक ऐसे समय की है, जब यूरोपियन पार्लियामेंट (यूरोपियन यूनियन की संसद) ने ईंशनिंदा कानून को लेकर पाकिस्तान के व्यापारिक वरीयता वाले दर्जे की समीक्षा करने के लिए प्रस्ताव को स्वीकार किया गया है. इस प्रस्ताव में ईंशनिंदा, धार्मिक कट्टरता, अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते अत्याचार, मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों के चलते पाकिस्तान को कारोबार में मिलने वाली रियायत को खत्म करने की सिफारिश की गई है.
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पिछले साल इस्लामिक दुनिया के नेताओं को लिखे अपने पत्रों को याद करते हुए पीएम इमरान खान ने इस्लामोफोबिया के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सामूहिक रूप से इस मामले को रेखांकित करने की आवश्यकता के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के प्रयासों की जानकारी दी.
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द ट्रिब्यून एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री इमरान खान ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की पहल आपसी समझ बनाने और अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है. बहरहाल, इस्लामोफोबिया दो शब्दों से मिलकर बना है- इस्लाम और फोबिया. इसका मतलब होता है कि इस्लाम का भय.
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PM @ImranKhanPTI met the Islamabad-based Ambassadors of countries belonging to the Organisation of Islamic Cooperation (@OIC_OCI) today to discuss combating Islamophobia and promoting inter-faith harmony : @PakPMO #APPNews @MoIB_Official pic.twitter.com/qsAbDziJ7K
— APP 🇵🇰 (@appcsocialmedia) May 3, 2021
इमरान खान ने कहा कि इस्लामोफोबिक रवैया के चलते दुनियाभर में अंतर-धार्मिक घृणा फैल रही है. उन्होंने ऐसी घटनाओं के बढ़ने के अंतर्निहित कारणों को सुलझाने का आह्वान किया.
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इमरान खान ने कहा, 'इस्लाम को कट्टरता और आतंकवाद से गलत तरीके से जोड़ कर मुसलमानों को हाशिये पर डाला जाता है और उन्हें कलंकित किया जाता है.'
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इमरान खान ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में इस्लामिक उपदेशों और अहम शख्सियतों के तिरस्कार को जायज ठहरना गलत है. उन्होंने कहा कि इससे दुनियाभर में 1.5 अरब मुसलमानों की भावना आहता होती है.
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पीएम इमरान खान ने मोहम्मद पैगंबर और पवित्र कुरान को लेकर सभी मुसलमानों के गहरे प्रेम और श्रद्धा के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताने के लिए इस्लामिक देशों से मिलकर काम करने का आग्रह किया.
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इमरान खान ने सभी धार्मिक समूहों की संवेदनशीलता की रक्षा करने के मकसद से कानूनी सुरक्षा उपायों को स्थापित करने की आवश्यकता की भी तस्दीक की. साथ ही उन्होंने इस्लाम की सच्ची छवि, शांति और सहिष्णुता के संदेश के लिए इस्लामिक देशों के सामूहिक प्रयासों की अनिवार्यता को रेखांकित किया.
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इस बीच, पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने सोमवार को अपनी पार्टी के नेताओं के साथ भी बैठक की. इमरान खान ने ईंशनिंदा कानून को पाकिस्तान के GSP Plus दर्जा से न जोड़ने की बात कही.
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असल में 30 अप्रैल को यूरोपियन यूनियन (EU) की संसद ने एक प्रस्ताव स्वीकार किया था जिसमें पाकिस्तान के साथ व्यापारिक रिश्तों की समीक्षा करने और पाकिस्तान का सामान्य वरीयता वाला दर्जा (GSP) की योग्यता को खत्म करने की मांग की गई है. यूरोपियन पार्लियामेंट का यह प्रस्ताव पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों से संबंधित है. प्रस्ताव में शफ़क़त इमैनुएल और शगुफ्ता कौसर के मामले का जिक्र किया गया है. पाकिस्तान के इस क्रिश्चियन दंपति को 2014 में पाकिस्तान की एक अदालत ने ईशनिंदा का दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी. इस दंपति को जुलाई 2013 में गिरफ्तार किया था.
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