पाकिस्तान के वित्त मंत्री अमेरिका के साथ पाकिस्तान की सौदेबाजी का खुलासा कर फंस गए हैं. दरअसल, द फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्री का हवाला देते हुए कहा गया था कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ऋण कार्यक्रम के तहत सुधार के कुछ कदमों को रोकने के लिए अमेरिकी सेना के साथ अपने संबंधों का लाभ उठा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान एयरबेस मुहैया कराने के बदले अमेरिका से आर्थिक लाभ लेना चाह रहा है.
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रक्षा विश्लेषक ये कयास लगा रहे हैं कि पाकिस्तान अफगानिस्तान में तालिबानी आतंकियों पर निगरानी के लिए एयरबेस मुहैया कराने के एवज में अमेरिका से आर्थिक मोर्चे पर लाभ लेने की जुगत में लगा हुआ है. हालांकि, बात बढ़ती देख पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन ने मीडिया रिपोर्ट को गलत बताते हुए सफाई पेश की है.
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पाकिस्तान के वित्त मंत्री शौकत तारिन ने द फाइनेंशियल टाइम्स की एक स्टोरी के संदर्भ में यह बात कही है जिसमें उनके हवाले से कहा गया था कि अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी पर अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग की मांग के चलते इमरान खान की सरकार को आईएमएफ सुधारों में देरी करने का 'मौका' मिल गया है.
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द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान 6 अरब डॉलर के ऋण कार्यक्रम के तहत फंडिंग की अगली किश्त जारी करने के लिए आईएमएफ के साथ बातचीत कर रहा है.
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वित्त मंत्री शौकत तारिन ने पाकिस्तान आर्थिक सर्वेक्षण जारी किए जाने के बाद गुरुवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'द फाइनेंशियल टाइम्स की संवाददाता ने 19 बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए एक घंटे के लिए मेरा इंटरव्यू किया था. बातचीत के दौरान सिर्फ एक बार अमेरिका का जिक्र आया और उन्होंने मुझसे अमेरिका के साथ पाकिस्तान के संबंधों के बारे में पूछा.'
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इंटरव्यू के बारे में बताते हुए शौकत तारिन ने कहा, 'मैंने पत्रकार के सवाल का जवाब दिया कि अमेरिका ने सैन्य प्रशिक्षण के लिए कुछ राशि आवंटित की है. उन्होंने पूछा कि क्या अमेरिका ने अन्य चीजों के लिए कोई राशि आवंटित की है, तो मैंने जवाब दिया कि नहीं. हमें पैसे की जरूरत नहीं है बल्कि हम अमेरिका के साथ व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि अमेरिका से पाकिस्तान में तेल, गैस और आईटी क्षेत्र में निवेश आए.'
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इमरान खान सरकार के मंत्री ने दोहराया कि पूरे इंटरव्यू में अमेरिका से संबंधित सिर्फ एक सवाल पर बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय इस स्टोरी को लेकर खंडन जारी करेगा. शौकत तारिन ने कहा, 'यह स्टोरी (द फाइनेंशियल टाइम्स की खबर) पूरी तरह से गलत है. हम इसका खंडन जारी करेंगे.'
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विश्लेषकों का मानना है कि कई मोर्चों पर अमेरिकी समर्थन हासिल करने के लिए पाकिस्तान एयरबेस को इस्तेमाल करने की अनुमति देने जैसे कठिन फैसले कर रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक द विल्सन सेंटर के वरिष्ठ दक्षिण एशिया सहयोगी माइकल कुगेलमैन का कहना है कि पाकिस्तान के पास वॉशिंगटन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का यह अवसर है. पाकिस्तान सुरक्षा सहायता बहाल किए जाने के प्रयास में लगा हुआ है. वह अफगानिस्तान और कश्मीर को लेकर भारत पर अमेरिका दवाब डालने के लिए भी यह सब कर रहा है.
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कुगेलमैन का कहना था कि बाइडन प्रशासन पाकिस्तान के साथ काम करना चाहता है, मगर उसका दायरा सीमित होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका अफगान में शांति पर सहयोग की तलाश कर रहा है. वह आतंकवाद का मुकाबला करना चाहता है, लेकिन अमेरिका व्यापार और निवेश के मोर्चे पर सहयोग बढ़ाने की पाकिस्तान की मुहिम को ठंडे बस्ते में डालना चाहता है.
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