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विश्व

दक्षिण कोरिया में कोरोना का कहर, उत्तर कोरिया में जीरो मामले कैसे?

दक्षिण कोरिया में कोरोना का कहर, उत्तर कोरिया में जीरो मामले कैसे?
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चीन और इटली के बाद दक्षिण कोरिया जहां कोरोना वायरस का तीसरा मजबूत गढ़ बन गया हैं, वहीं पड़ोसी उत्तर कोरिया का दावा है कि उसके यहां अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण का एक भी मामला नहीं सामने आया है. उत्तर कोरिया की सरकार द्वारा नियंत्रित मीडिया का कहना है कि सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए इतने सख्त कदम उठाए हैं कि सुप्रीम नेता किम जोंग उन मास्क लगाए बिना ही बेखौफ सार्वजनिक स्थानों पर घूमते देखे जा सकते हैं.
दक्षिण कोरिया में कोरोना का कहर, उत्तर कोरिया में जीरो मामले कैसे?
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जहां दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के संक्रमण के करीब 8000 मामले और 67 मौतें हुई हैं, वहीं उत्तर कोरिया में अभी तक कोरोना के जीरो केस का दावा किया जा रहा है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में इशारा किया गया है कि उत्तर कोरिया के एक प्रांत में ही 2600 से ज्यादा केस हो सकते हैं. उत्तर कोरिया की आलोचक वेबसाइट द डेली एनके का कहना है कि उसने ऐसी रिपोर्ट्स देखी हैं जिसमें बताया गया है कि वायरस से संक्रमित या उनके संपर्क में आए लोगों को अनिश्चितकाल के लिए एकांत में रखा जा रहा है. वेबसाइट ने उत्तर कोरिया के एक आधिकारिक अखबार रोडोंग सिनमन की रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें चागांग प्रांत में ही 2630 लोगों को एकांत में रखे जाने का जिक्र है.
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किम जोंग उन ने वायरस को रोकने के लिए जनवरी महीने में ही अपनी सीमाओं को बंद कर दिया था जिससे व्यापार और पर्यटन पहले ही थम गया था. उत्तर कोरिया की आधिकारिक प्रेस भी लोगों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए तमाम सावधानियों के बारे में नियमित तौर पर जानकारी दे रही है. जैसे- मास्क को अपनी ड्यूटी समझकर पहनिए, दरवाजे के हैंडलों को स्टर्लाइज करवाएं. वहीं प्रशासन सभी सार्वजनिक वाहनों को भी वायरसमुक्त बनाने के लिए स्टर्लाइजेशन करवा रहा है. सीमाओं पर चेकिंग के अलावा, उत्तर कोरिया के कस्टम अधिकारी बंदरगाहों पर विदेशों से आए कंटेनरों को 10 दिनों तक के लिए अलग जगह पर रख रही है. हालांकि, उत्तर कोरिया के इन तमाम कदमों के बावजूद दुनिया को ये यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि चीन के पड़ोसी देश में कोरोना वायरस का एक भी मामला भी नहीं आया है. यहां तक कि अमेरिका पूरे यकीन के साथ दावा कर रहा है कि उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस मौजूद है. यूएस फोर्स कोरिया के कमांडर जनरल रॉबर्ट अबराम्स ने 13 मार्च को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा, "उत्तर कोरिया की सेनाएं करीब 30 दिनों से लॉकडाउन में थीं और हाल ही में उन्होंने फिर से अभ्यास शुरू किया है. उन्होंने पिछले 24 दिनों में एक एरोप्लेन तक नहीं उड़ाया."
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आर्थिक प्रतिबंधों और खराब मेडिकल व्यवस्था की वजह से उत्तर कोरिया की 40 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है और बीमारियां बड़ी आसानी से इन्हें अपना शिकार बना सकती हैं. ऐसी परिस्थितियों के चलते उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस महामारी की वजह से गंभीर संकट पैदा हो सकता है और तमाम लोगों की जानें जा सकती हैं.
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दक्षिण कोरिया से लगी सीमा पर भारी-भरकम सैन्य मौजूदगी की वजह से उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस की एंट्री की भले ही कम संभावनाएं हैं लेकिन चीन के साथ उत्तर कोरिया की 1420 किमी लंबी सीमा से यहां कोरोना वायरस फैलने की पूरी आशंका है. चीन-उत्तर कोरिया बॉर्डर सालों से कारोबारियों के लिए ब्लैक मार्केटिंग का जरिया रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, उत्तर कोरिया से लगे दो चीनी प्रांतो लियानिंग और जिलिन में अभी तक कोरोना वायरस से संक्रमण के 225 मामले सामने आए हैं.
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उत्तर कोरिया हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए एक रहस्यमयी जगह रही है और किसी को नहीं पता चलता कि वहां क्या हो रहा है. इस देश ने अपनी सरकारी मीडिया के जरिए बस इतना ही कहा है कि उसने हजारों लोगों को एकांत में रखकर और सामूहिक संक्रमण को दूर करके अपने देश में कोरोना को आने से रोक दिया है. उत्तर कोरिया की मीडिया के मुताबिक, 5400 कोरोना संदिग्धों को छोड़ा जा चुका है और अभी तक संक्रमण का एक भी मामला नहीं मिला है. हालांकि, दक्षिण कोरिया के एक डॉक्टर का कहना है कि उन्हें डर है कि उत्तर कोरिया का कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की बात को खारिज करना असली समस्या पर पर्दा डालने की कोशिश हो सकती है.
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कोरिया यूनिवर्सिटी के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट में प्रोफेसर किम सिन गॉन ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा, चूंकि रिपोर्टिंग का अंदाज इतना आक्रामक है, हो सकता है कि उत्तर कोरिया के नागरिक वायरस के मरीज हों. कुपोषण की समस्या इस महामारी को फैलने में और मदद करेगी.
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वैसे तो उत्तर कोरिया यह साबित कर चुका है कि वह किसी वायरस से निपटने में सक्षम है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2018 में वायरस से सफलतापूर्वक लड़ने को लेकर उत्तर कोरिया की तारीफ भी की थी. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि दुनिया भर में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों को संक्रमण का शिकार बना चुका कोरोना वायरस अगर उत्तर कोरिया में आता तो शासक किम जोंग उन अपने तानाशाही अंदाज में संक्रमित और संदिग्धों को एकांत में भेज देते, संक्रमित इलाकों को बंद कर देते और हर तरह की जानकारी पर पाबंदी लगा देते. वायरस से हुईं मौतों से भी इस देश की सत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता क्योंकि 1990 में पड़े अकाल के दौरान 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हुई थीं और तब भी यहां की सरकार ने सब कुछ अपने नियंत्रण में रखा था.
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कोरिया सोसायटी के अध्यक्ष थॉमस बर्नी ने एक अखबार से बातचीत में कहा, वहां मानवाधिकार या सामाजिक स्वतंत्रता जैसा कोई मुद्दा ही नहीं है. भूख से मरते लोग भी यहां कोई समस्या नहीं है. वे बड़े आराम से लोगों को जबरदस्ती कई महीनों तक अलग-थलग रख सकते हैं.
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किम की सेना इस माहौल में भी पूरी तरह से शांत नहीं है. इसी महीने उत्तर कोरिया ने छोटी दूरी की तीन बैलेस्टिक मिसाइलें दागीं जिसकी जापान और दक्षिण कोरिया ने निंदा की. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर कोरिया चाहता है कि वायरस के खौफ के बीच उनका देश पूरी दुनिया के एजेंडे पर रहे. हालांकि, उत्तर कोरिया के तानाशाही रुख के बावजूद उसकी मदद के लिए तमाम देश और संगठन आगे आ रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अभी तक किसी मामले की जानकारी नहीं मिली है लेकिन वे उत्तर कोरिया में भी मेडिकल सुविधाएं और उपकरण भेजने की योजना बना रहे हैं. यहां तक कि अमेरिकी रक्षा विभाग ने उत्तर कोरिया में किसी तरह की त्रासदी रोकने के लिए मदद देने का प्रस्ताव दिया है. उत्तर कोरिया पर कड़े प्रतिबंध लागू करने वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी मेडिकल आपूर्ति के लिए प्रतिबंधों में छूट देने का ऐलान किया था.
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तमाम इनकार के बावजूद ये आशंका प्रबल हो रही है कि उत्तर कोरिया को किम जोंग उन के सत्ता में आने के बाद से अब तक की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. उत्तर कोरिया विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक कीथ लूज ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा, यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि उत्तर कोरिया कोविड-19 बुलेट को रोक सकता है!
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