scorecardresearch
 
Advertisement
विश्व

तालिबान के कब्जे को लेकर बंट गई है मुस्लिम दुनिया

Taliban
  • 1/12

मुस्लिम दुनिया तालिबान और अफगानिस्तान को लेकर बंटी दिख रही है. पाकिस्तान खुलकर तालिबान के साथ है लेकिन सऊदी अरब और यूएई ने रणनीतिक खामोशी साध रखी है. लेकिन बुधवार को खबर आई कि अशरफ गनी यूएई में हैं. इससे साफ हो गया कि यूएई भले खामोश है लेकिन अशरफ गनी को शरण देने के लिए तैयार था. यूएई का अशरफ गनी को शरण देना पाकिस्तान और तालिबान दोनों के लिए ही एक बड़ा झटका है.

(फोटो-AP)

Imran Khan
  • 2/12

मध्य एशिया के मुस्लिम देश भी तालिबान को लेकर बहुत सहमे हुए हैं. डर है कि तालिबान और आईएस साथ न मिल जाएं. वहीं, तुर्की भी तालिबान को लेकर आशंकित है. तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने तो यहां तक कह दिया है तालिबान का व्यवहार मुसलमानों की तरह नहीं है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान खुद को शांति समर्थक बता रहे हैं लेकिन पाकिस्तान और तालिबान के संपर्क से पूरी दुनिया अवगत है. इमरान खान ने यहां तक कहा कि अफगानिस्तान में उनका कोई पसंदीदा नहीं है पर अशरफ गनी के देश छोड़ने के बाद कहा कि अफगानिस्तान ने दासता की जंजीरें तोड़ दी हैं.

(फोटो-ऱॉयटर्स)
 

Pakistan on Taliban
  • 3/12

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी तालिबान के पक्ष में बोलते नजर आए. कुरैशी ने कहा है कि तालिबान ने एमनेस्टी और लड़कियों के स्कूल जाने की इजाजत देकर सत्ता गंवा चुकी अशरफ गनी सरकार के अपने खिलाफ प्रचार को झूठा साबित कर दिया है. उन्होंने कहा, 'पूरी दुनिया जानती है कि अफगानिस्तान में एक भ्रष्ट व्यवस्था थी. अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और सामान्य स्थिति पाकिस्तान की प्राथमिकता है. हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान में अमन-शांति बहाल हो, वहां बाजार खुले रहें और अफगानिस्तान सामान्य जीवन की ओर बढ़े.' 

(फोटो-AP)

Advertisement
UAE Saudi Arbia
  • 4/12

साल 1996 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तो सऊदी अरब, यूएई और पाकिस्तान ने तालिबान की सरकार को मान्यता दी थी लेकिन 25 साल बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. यूएई ने गुरुवार को मानवता की बात करते हुए राष्ट्रपति अशरफ गनी का अपने देश में स्वागत किया. 

(फोटो-Getty Images)

UAE
  • 5/12

UAE ने अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार को मानवीय आधार पर पनाह दी है. अशरफ गनी को शरण देकर संयुक्त अरब अमीरात ने तालिबान को कड़ा संदेश दिया है. यूएई भले ही तालिबान का खुलकर विरोध नहीं कर रहा हो, लेकिन यह साफ है कि उसने इस बार तालिबान को नहीं चुना है जैसा कि उसने 1996 में किया था.

(फोटो-Getty Images)

Saudi Arbia
  • 6/12

दूसरी तरफ, सऊदी अरब भी तालिबान की वापसी को लेकर उत्साहित नहीं है. सऊदी अरब ने तालिबान से अपील की है कि वह इस्लामिक सिद्धातों के तहत लोगों की जान और संपत्तियों की सुरक्षा करे. सऊदी अरब अब भी अफगान लोगों द्वारा अफगान संकट के समाधान का समर्थन कर रहा है. सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि अफगान बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के जो फैसला लेंगे, सऊदी अरब उसके साथ रहेगा. 

(फोटो-Getty Images)
 

Saudi Arbia
  • 7/12

सऊदी अरब की अमेरिका के साथ मजबूत साझेदारी है और वह तालिबान का समर्थन करके इसे कमजोर नहीं करना चाहता है. मोदी सरकार के आने के बाद से सऊदी अरब और यूएई के भारत के साथ भी रिश्ते गहरे हुए हैं. ऐसे में, दोनों ही देश तालिबान और पाकिस्तान के साथ जाकर भारत को नाराज नहीं करना चाहते हैं.

(फोटो-AP)

Taliban in Doha
  • 8/12

कतरः कतर अफगान विवाद में अहम भूमिका निभा रहा है. कतर ने तालिबान के समर्थन में आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, हालांकि, तालिबान का राजनीतिक कार्यालय कतर में ही है. कतर ने तालिबान को अपनी धरती पर अमेरिका के साथ राजनीतिक वार्ता करने के लिए आधार और राजनीतिक सुविधाएं मुहैया कराई है. पिछले साल तालिबान के साथ हुए समझौते के बाद ही अमेरिका अफगानिस्तान से पीछे हट रहा है. 

(फोटो-AP)

turkey
  • 9/12

तुर्की: तुर्की ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद भी काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा करने की इच्छा जाहिर की थी. तालिबान ने तुर्की की काबुल एयरपोर्ट के संचालन करने की पेशकश को 'घृणित' बताया था. तालिबान के नेताओं ने कहा था कि अफगानिस्तान में किसी भी विदेशी सेना की मौजूदगी को वो कब्जा मानते हैं.

(फोटो-AP)
 

Advertisement
Taliban
  • 10/12

वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने कहा था कि तालिबान का रवैया सही नहीं है. एर्दोगन ने कहा था, हमारी नजर में, तालिबान का रवैया वैसा नहीं है, जैसा एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान के साथ होना चाहिए. उन्होंने कहा था, "तालिबान को अपने ही भाइयों की जमीन से कब्जा छोड़ देना चाहिए."

(फोटो-AP)

Iran
  • 11/12

ईरान: अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़ती ताकत ने उसके शिया बहुल पड़ोसी ईरान की चिंता बढ़ा दी है. 1998 में मजार-ए-शरीफ में तालिबान द्वारा एक ईरानी पत्रकार सहित ईरानी दूतावास के आठ कर्मचारियों की हत्या कर दी गई थी. ईरान ने एक बयान में तालिबान से काबुल और हेरात में अपने दूतावास के कर्मचारियों की सुरक्षा की गारंटी देने को कहा था. 

(फोटो-Getty Images)

Turkmenistan
  • 12/12

तुर्कमेनिस्तान: तुर्कमेनिस्तान ने तालिबान के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिश की है. जैसे ही तालिबान ने सीमा पर कब्जा किया, तुर्कमेनिस्तान ने तालिबान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया.

(फाइल फोटो-Getty Images)

Advertisement
Advertisement