नेपाल और भारत के बीच पिछले कुछ दिनों से सीमा विवाद को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. सोमवार को नेपाल ने अपने देश का नया नक्शा जारी किया, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है. अब नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत को लेकर तंज भरी टिप्पणी की है.
नेपाली पीएम ने ट्वीट किया, भारत के अशोक चक्र में सत्यमेव जयते लिखा है या सिंहमेव जयते. ओली का इशारा भारत की ताकत को लेकर था.
भारत के साथ सीमा विवाद के मुद्दे पर नेपाल के पीएम ने कहा, ऐतिहासिक गलतफहमियों को खत्म करने का विचार भारत के साथ दोस्ती गहरी करने के लिए ही है. इस मुद्दे पर चीन के साथ भी बातचीत हो रही है और नेपाल ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया है.
8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का
उद्घाटन किया था,जिसे लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली
ने कहा था कि भारत भले लिपुलेख में बनी सड़क का इस्तेमाल कर ले लेकिन वह अपने पूर्वजों की एक इंच जमीन पर दावा नहीं छोड़ेंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को हुई कैबिनेट बैठक में ओली ने भारतीय सेना
प्रमुख एम. एम नरवणे के बयान पर भी आपत्ति जताई. दरअसल, नरवणे ने चीन का
नाम लिए बगैर कहा था कि लिपुलेख पर नेपाल किसी और के इशारे पर विरोध कर रहा
है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर नेपाल की आर्मी और सरकार ने नरवणे के बयान
पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
6 महीने पहले जब भारत ने जम्मू-कश्मीर के दो राज्यों में विभाजन के बाद नया
नक्शा जारी किया था तो इसमें कालापानी को शामिल करने को लेकर नेपाल ने
विरोध दर्ज कराया था. उस वक्त से ही नेपाल में देश का नया नक्शा जारी करने
की मांग उठ रही थी.
नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर सुगौली संधि के आधार पर अपना
दावा पेश करता है. नेपाल और ब्रिटिश भारत के बीच 1816 में सुगौली की संधि
हुई थी जिसके तहत दोनों के बीच महाकाली नदी को सीमारेखा माना गया था.
जानकारों का मानना है कि भारत-नेपाल सीमा विवाद महाकाली नदी की उत्पत्ति
को लेकर ही है. नेपाल का कहना है कि नदी लिपुलेख के नजदीक लिम्पियाधुरा से निकलती है और
दक्षिण-पश्चिम की तरफ बहती है जबकि भारत कालपानी को नदी का उद्गमस्थल मानता
है और दक्षिण और आंशिक रूप से पूर्व में बहाव मानता है.
नेपाल के विदेश मंत्रालय ने लिपुलेख में रोड लिंक खुलने के एक दिन बाद ही
बयान जारी कर विरोध दर्ज कराया था और भारतीय राजदूत विनय कुमार क्वात्ररा
को डिप्लोमैटिक नोट भी सौंपा था. भारत ने जवाब में कहा कि सड़क निर्माण
भारतीय क्षेत्र में ही हुआ है लेकिन नेपाल से करीबी संबंध को देखते हुए वह
इस मुद्दे कूटनीतिक तरीकों से सुलझाने का समर्थन करता है. भारत ने ये भी
कहा था कि कोरोना वायरस से दोनों देश सफलतापूर्वक निपट लें और उसके बाद
सीमा विवाद पर वार्ता की जाएगी. हालांकि, नेपाल ने इस अनुरोध को भी ठुकरा
दिया.