अफगानिस्तान की सरकार ने तालिबान को जंग खत्म करने के लिए सत्ता में साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया है. समाचार एजेंसी एएफपी ने सूत्रों के हवाले से ये खबर छापी है. सूत्र ने एएफपी एजेंसी से बताया कि उनकी सरकार ने मध्यस्थता कर रहे कतर को ये प्रस्ताव भेजा है. अफगानिस्तान की अशरफ गनी की सरकार ने हिंसा रोकने के लिए तालिबान को सरकार में हिस्सेदार बनाने का प्रस्ताव दिया है.
(फोटो- अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी/गेटी इमेजेस)
अफगानिस्तान की सरकार से जुड़े एक सूत्र ने अलजजीरा को बताया कि अफगान सरकार ने तालिबान को सत्ता में साझेदार बनाने का प्रस्ताव दिया है ताकि देश में जारी हिंसा का दौर थम जाए.
अमेरिकी प्रतिनिधि जालमाय खालिजाद अफगानिस्तान के मुद्दे पर होने वाली एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के लिए कतर पहुंचे हैं. अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया कि अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा के लिए इस सप्ताह दोहा में दो अहम बैठकें हो रही हैं. नेड प्राइस ने कहा कि बैठक में अफगानिस्तान में हिंसा रोकने और बलपूर्वक आई किसी भी सरकार को मान्यता ना देने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की जाएगी.
(फोटो- अफगानिस्तान के उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह/गेटी इमेजेस)
पाकिस्तान ने भी अपने विशेष दूत मोहम्मद सादिक और काबुल के अपने राजदूत मंसूर खान को कतर भेजा है. वहीं, अफगानिस्तान की सरकार की तरफ से भी एक प्रतिनिधिमंडल इन बैठकों में शामिल होगा. अफगान प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 'हाई काउंसिल फॉर नेशनल रिकॉन्सिलेनशन' के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला करेंगे. अफगानिस्तान में रूस के दूत जमीर काबुलोव और चीन की तरफ से राजदूत यु शियाओ योंग भी बैठक में शामिल होंगे.
(फोटो- तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन/गेटी इमेजेस)
तालिबान ने गुरुवार को रणनीतिक नजरिए से अहम शहर गजनी को भी अपने नियंत्रण में ले लिया. गजनी शहर काबुल से सिर्फ 150 किमी दूर है. अब तक तालिबान ने 10 प्रांतीय राजधानियों को अपने कब्जे में ले लिया है. अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने भी इसकी पुष्टि की है. अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता मिरवाइज स्टैनजाई ने मीडिया से बताया कि दुश्मनों ने शहर पर कब्जा कर लिया है लेकिन लड़ाई जारी रहेगी.
(फोटो- तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन/गेटी इमेजेस)
अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की सरकार ने उत्तरी और पश्चिमी अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्से गंवा दिए हैं और कई अहम शहरों पर से भी उसका नियंत्रण कमजोर हो रहा है. जल्द ही कई अहम इलाके तालिबान के हाथों में जाने वाले हैं.
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बीच तालिबान का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि उन्हें अपने फैसले को लेकर किसी भी तरह का अफसोस नहीं है.व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत में मंगलवार को जो बाइडेन ने कहा, "अफगान नेताओं को एक साथ आना होगा. अफगान सैनिकों की संख्या तालिबान से अधिक है और उन्हें लड़ना चाहिए. उन्हें अपने लिए लड़ना होगा, अपने देश के लिए लड़ना होगा."
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 20 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक खर्च किया है और हजारों सैनिकों को खो दिया है, इस लिहाज से उनका फैसला जायज है. राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका अफगान बलों को महत्वपूर्ण हवाई सहायता, भोजन, उपकरण और वेतन प्रदान करना जारी रखा है.
(फोटो- तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन/गेटी इमेजेस)
अमेरिकी अखबार 'द वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने सरकार के एक वरिष्ठ सदस्य के हवाले से कहा कि युद्ध के मैदान में मिल रही लगातार शिकस्त राष्ट्रपति अशरफ गनी का संकट बढ़ा सकती है. वह सलाहकारों की एक छोटी टोली पर भरोसा करते हैं और अक्सर प्रमुख मंत्रियों और सैन्य कमांडरों को बदलते रहते हैं. अशरफ गनी के सामने अब यह चुनौती है कि वह मौजूदा हालात से निपटते हैं अथवा किनारा कर लेते हैं. सरकार के इस वरिष्ठ सदस्य ने चेतावनी दी कि अगर तालिबान विरोधी सभी राजनीतिक ताकतें मुकाबले के लिए नई योजना के साथ एकजुट नहीं हुईं तो काबुल कुछ ही हफ्तों में आतंकी गुट के हाथों में जा सकता है और अशरफ गनी को इस्तीफा सौंपना पड़ सकता है.
(फोटो- अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी/रॉयटर्स)