ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से तेहरान और वॉशिंगटन संघर्ष की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं. कभी ईरान सुलेमानी की हत्या का बदला लेने का वादा कर रहा है तो कभी अमेरिका ईरान को अंजाम भुगतने की धमकी दे रहा है. तनाव बढ़ाने वाले इन घटनाक्रमों के बीच अब ईरान की संसद ने अमेरिकी फौज को 'आतंकी' घोषित कर दिया है.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार को मध्य-पूर्व में मौजूद अमेरिकी फौज को आतंकी का दर्जा देने वाले एक बिल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
रॉयटर्स एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सप्ताह पास हुए इस बिल में अमेरिकी सरकार को आतंकवाद का समर्थक करार दिया गया है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि मध्य-पूर्व क्षेत्र में अमेरिकी सेना पर इसका क्या असर पड़ेगा.
रूहानी के इस कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकी संगठन घोषित करने की जवाबी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है.
अमेरिका ने कुछ महीने पहले ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को विदेशी आतंकी
संगठनों की सूची में डाल दिया था. ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स में आर्मी,
नेवी और एयर फोर्स के कुल 125,000 सदस्य हैं.
इस बिल में अमेरिका की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) को आतंकी संगठन घोषित किया गया है. CENTCOM मध्य-पूर्व और अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य ऑपरेशनों के लिए जिम्मेदार है.
रॉयटर्स एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रूहानी ने ईरान की इंटेलिजेंस, विदेश मंत्रालय, सेना और सर्वोच्च सुरक्षा परिषद को कानून को लागू करने के निर्देश दिए. ईरान ने चेतावनी दी है कि अमेरिका की किसी भी कार्रवाई का करारा जवाब देगी.
ईरानी सांसदों ने कहा, अमेरिका के नेता जो मध्य-पूर्व में आतंक के जनक और
संरक्षक हैं, अपने इस अनुचित और मूर्खतापूर्ण कदम को लेकर अफसोस करेंगे.
वहीं, अमेरिका ने ईरान के विदेश मंत्री जावद जरीफ को वीजा देने से इनकार कर दिया है. वह न्यू यॉर्क में हो रही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में हिस्सा लेने वाले थे. हालांकि, अभी तक इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.
ट्रंप ने पिछले साल ईरान के साथ न्यूक्लियर डील से बाहर होकर इस संघर्ष की शुरुआत कर दी थी. अमेरिका ने समझौते से बाहर होने के बाद ईरान पर तमाम तरह के प्रतिबंध थोप दिए थे जिसके बाद से उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई.