भारत के कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड के उद्घाटन को लेकर नेपाल का विरोध तेज होता जा रहा है. शुक्रवार को आर्मी चीफ एम. एम नरवणे ने बयान दिया था कि मानसरोवर के रास्ते पर लिपुलेख पास पर बन रही सड़क का विरोध नेपाल किसी और के इशारे पर कर रहा है. आर्मी चीफ के बयान के बाद नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने कहा कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा नेपाल का अभिन्न हिस्सा हैं और इन पर दावा पेश करने के लिए ठोस कूटनीतिक कदम उठाए जाएंगे.
नेपाल की संसद की संयुक्त समिति में सरकार की नीतियों और कार्यक्रम पर चर्चा के दौरान भंडारी ने कहा कि इन इलाकों पर दावा पेश करते हुए नेपाल एक नया राजनीतिक नक्शा जारी करेगा.
नेपाल के भूमि प्रबंधन, सहकारिता और गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने नेपाल का नया नक्शा तैयार कर लिया है और इसमें कालापानी को भी शामिल किया गया है. कैबिनेट मंत्री पद्मा आर्यल इसे जल्द ही कैबिनेट के सामने पेश करेंगी. पिछले साल नवंबर महीने में जब जम्मू-कश्मीर के दो राज्यों में विभाजन के बाद भारत ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, उस वक्त भी नेपाल ने इसमें कालापानी को शामिल करने को लेकर आपत्ति जताई थी. नेपाल की सरकार ने मंत्रालय को इसके जवाब में एक नया नक्शा प्रकाशित करने के आदेश दिए थे.
नई दिल्ली में मनोहर पर्रिकर इंस्टिट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज ऐंड एनालिसिस के एक कार्यक्रम में आर्मी चीफ एम.एम. नरवणे ने लिपुलेख विवाद में चीन की भूमिका होने की तरफ इशारा किया था. नरवणे ने कहा, यह मानने की पूरी वजह है कि नेपाल ने किसी और के इशारे पर इस मामले को उठाया होगा. इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है.
उन्होंने कहा कि हमने जो सड़क बनाई है वह नदी के पश्चिम में है और नदी के
पूर्व की जमीन उन लोगों की है. उसमें कोई विवाद ही नहीं है. मुझे नहीं समझ
में आ रहा है कि वे किस बारे में आंदोलन कर रहे हैं. ट्राइजंक्शन को लेकर
कोई संशय नहीं है, अतीत में कभी ऐसी कोई दिक्कत नहीं हुई है. आर्मी चीफ ने लद्दाख और सिक्किम में भारतीय-चीनी सेना के बीच संघर्ष की
घटनाओं और लिपुलेख के बीच किसी तरह का संबंध होने से इनकार कर दिया.
8 मई को भारत ने भारत-नेपाल-चीन ट्राइजंक्शन के नजदीक उत्तराखंड के लिपुलेख पास से 80 किमी लंबी सड़क का उद्घाटन किया था जिसे लेकर नेपाल आपत्ति जता रहा है. यह सड़क भारत-चीन सीमा से सिर्फ 5 किमी की दूरी पर है. सड़क बनने से कैलाश मानसरोवर तक की तीर्थयात्रा पूरी करने में अब भारतीयों को काफी कम वक्त लगेगा. भारत-चीन के व्यापार के लिए भी इस सड़क का इस्तेमाल होगा.
चीन लगातार नेपाल में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इस नए विवाद में भी चीन की भूमिका होने की आशंका जताई जा रही है. नरवणे के
बयान से कुछ घंटे पहले ही नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी ने चीनी
राजदूत हू यंकी से लिपुलेख विवाद को लेकर मुलाकात की थी. पिछले कुछ दिनों में चीनी राजदूत नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व
प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल और माधव कुमार नेपाल के साथ कई बैठकें कर चुके हैं.
नेपाल लिपुलेख विवाद पर भारत के साथ-साथ चीन से भी वार्ता करेगा. नेपाल का कहना है कि कैलाश मानसरोवर लिंक रोड लिपुलेख से होते हुए चीन के
स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत तक जाती है और सड़क निर्माण को लेकर भारत-चीन के
बीच समझौता हुआ था इसलिए चीन के साथ भी बातचीत जरूरी है.