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विश्व

लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?

लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?
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लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव को लेकर मंगलवार को चीन की सेना के पीछे हटने और गतिरोध घटने की खबरें आईं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन की सेना लद्दाख के गलवान, पट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग इलाके से करीब दो किमी तक पीछे हट गई है. हालांकि, भारत की तरफ से ऐसा कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है. चीन के विदेश मंत्रालय की बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे लेकर सवाल पूछा गया तो वहां से भी कुछ भी स्पष्ट जवाब नहीं मिला.

लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?
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लद्दाख में जमीनी स्तर पर यथास्थिति में किसी बदलाव को लेकर चीन की तरफ से ये पहला आधिकारिक बयान था. विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग से एएफपी न्यूज एजेंसी के रिपोर्टर ने सवाल किया कि भारतीय मीडिया में ऐसी खबरें चल रही हैं कि भारत-चीन की सरहद पर तीन जगहों से चीनी और भारतीय सेना पीछे हटी हैं और गतिरोध कम हुआ है. क्या आप इसकी पुष्टि कर सकती हैं?
लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?
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चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इसके जवाब में कहा कि कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के जरिए भारत और चीन के बीच प्रभावी संवाद हुआ है और दोनों पक्ष भारतीय-चीन सीमा के पश्चिमी हिस्से पर हालात संभालने को लेकर एक समझौते पर पहुंचे हैं. वर्तमान में, दोनों पक्ष समझौते के तहत कदम उठा रहे हैं. हालांकि, चीनी प्रवक्ता ने ये नहीं बताया कि ये कदम क्या हैं.
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लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?
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सैन्य सूत्रों के मुताबिक, गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग में चीनी सैनिकों की मौजूदगी कम हुई है. गतिरोध कम करने के लिए भारत ने भी अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया है. हालांकि, पैंगोंग सो में कोई बदलाव नहीं हुआ है जहां पर चीनी सैनिक भारतीय सरहद को पार कर गए हैं. इन सभी घटनाक्रमों को लेकर अभी तक भारत की तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है.

लद्दाख में अपने सैनिकों के पीछे हटने के सवाल पर क्या बोला चीन?
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विदेश मामलों के एक्सपर्ट ब्रह्मा चेलानी ने भी चीनी सेना के पीछे हटने के दावे को लेकर सवाल खड़े किए. उन्होंने ट्वीट किया, चीन का बयान लद्दाख में सैनिकों की संख्या में कमी आने के भारतीय दावे को समर्थन नहीं करता है. आक्रामक चीन सिर्फ हालात को ठीक तरह से संभालने और इसके लिए कदम उठाने की बात कर रहा है. इसका कोई सबूत नहीं है कि चीन की आर्मी भारतीय भूभाग पर अतिक्रमण छोड़कर पीछे हटने की इच्छुक है.
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चेलानी की टिप्पणी को रिट्वीट करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी सरकार को कठघरे में खड़ा किया. उन्होंने लिखा, मशहूर रणनीतिक मामलों के विश्लेषक ये कह रहे हैं कि चीन का बयान भारत के दावे का समर्थन नहीं करता है... तो क्या चीनी अतिक्रमण को सामान्य बनाने की कोशिश की जा रही है?
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्विटर पर मोदी सरकार से सवाल किया था कि क्या लद्दाख में चीनी सेना ने अतिक्रमण कर लिया है. राहुल गांधी के ट्वीट पर कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय मामलों पर सोशल मीडिया पर ऐसे सवाल नहीं पूछने चाहिए. कानून मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने बालाकोट एयरस्ट्राइक और उड़ी हमले को लेकर भी सबूत मांगे थे.
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लद्दाख से बीजेपी सांसद जमयांग सेरिंग नामग्याल ने भी राहुल गांधी को जवाब दिया. बीजेपी सांसद ने कहा था कि चीनियों ने भारतीय भूभाग पर कब्जा किया है लेकिन ये कब्जा कांग्रेस के शासनकाल में हुआ है.  बीजेपी सांसद ने कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान भारतीय भू-भाग पर चीनी कब्जे को लेकर निशाना साधा. बीजेपी सांसद ने लिखा, 1962 में कांग्रेसी शासन में अक्साई चिन (37,244 वर्गकिमी) गंवाया, यूपीए कार्यकाल के दौरान चुमूर इलाके में तिया पैंगनाक और चाब्जी घाटी पर चीन ने कब्जा किया और 2008 में चीन की सेना ने डेमजोक में जोरावर किले को नष्ट कर दिया.

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बता दें कि बुधवार को भारत और चीन की सेना के कमांडरों के बीच बातचीत हुई थी. इससे पहले, 6 जून को भी दोनों पक्ष वार्ता में शामिल हुए थे. एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई से बताया था कि दोनों पक्षों के बीच सकारात्मक माहौल में अच्छी बातचीत हुई. दोनों देशों की सेनाएं विवाद को वार्ता के जरिए सुलझाने के पक्ष में है.

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हालांकि, शनिवार को हुई वार्ता के बाद भारत ने गतिरोध कम होने या किसी समझौते पर पहुंचने का कोई संकेत नहीं दिया था. भारत ने कहा था कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों के तहत विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने को लेकर सहमत हैं.
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