दुनिया के जाने-माने रणनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ एशले जे टेलिस को आशंका है कि भारत और चीन के बीच लद्दाख फेस-ऑफ दो एशियाई दिग्गजों के बीच सशस्त्र संघर्ष में तब्दील हो सकता है. टेलिस ने इंडिया टुडे को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, 'जो मुझे बहुत साफ है वो है कि भारत के साथ सीमाओं पर अलग अलग क्षेत्रों में जो हो रहा है वो निश्चित रूप से स्थानीय स्तर पर हुई कार्रवाई नहीं है, जिसे किन्हीं उत्साही स्थानीय कमांडरों ने भड़काया हो.'
उन्होंने कहा, 'यह कार्रवाइयों का ऐसा सेट है जिसे थिएटर स्तर पर मंजूर किया गया, और अगर इन्हें थिएटर स्तर पर मंजूरी मिली तो इसे अनिवार्य तौर पर बीजिंग में जनरल स्टाफ के स्तर पर भी हरी झंडी दिखाई गई.'
भारत के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौते में तत्कालीन बुश प्रशासन को मदद देने वाले टेलिस का मानना है कि चीन के साथ राजनयिक बातचीत में संलग्न रहते हुए भी नई दिल्ली को बीजिंग के साथ संभावित संघर्ष के लिए सैन्य रूप से तैयार रहना चाहिए.
टेलिस ने कहा, 'भारत चीन के साथ बातचीत जारी रखे हुए है - मुझे लगता है कि यह स्पष्ट रूप से कोशिश की पहली पंक्ति है जिसे आजमाया जाना चाहिए.' उन्होंने आगे कहा कि भारत को चौकस सैन्य तैयारियां जारी रखनी चाहिए, जिसमें स्थिति की गंभीरता बढ़ने का पूर्वानुमान लगाना भी शामिल है.
साथ ही चीनियों को यह सोचने के लिए विवश करना चाहिए कि स्थिति गंभीर होने की लागत चीन की खुद की साख और हितों के लिए कितनी भारी हो सकती है. खास तौर पर तब जबकि ये हाशिए के क्षेत्र हैं और बुनियादी तौर पर चीन के मूल हितों के साथ नहीं जाते. उन्होंने लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों के मूवमेंट को चीन की ओर से अपने लाभ के लिए यथास्थिति को बदलने की साफ कोशिश बताया.