भारत ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर इस्लामिक देशों को पाकिस्तान के प्रचार तंत्र में फंसने से आगाह किया है. सऊदी अरब में भारतीय राजदूत की इस्लामिक देशों के संगठन (ओआईसी) के महासचिव से मुलाकात के दौरान कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा की रिपोर्ट के बीच भारत ने कहा कि इस्लामिक देशों को 'निहित स्वार्थों' से सतर्क रहने की जरूरत है.
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पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, 'हमने बैठक को लेकर ओआईसी की तरफ से जारी बयान को देखा है. ओआईसी के महासचिव के अनुरोध पर ही सऊदी अरब में तैनात भारतीय राजदूत ने 5 जुलाई को उनसे मुलाकात की थी. बैठक के दौरान विभिन्न मसलों पर व्यापक चर्चा की गई.'
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India's response to OIC Secretary General meeting Indian envoy to Saudi Arabia @drausaf and discussing #Kashmir.
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) July 8, 2021
"Our ambassador conveyed the need to correct some of the misperceptions about India that are perpetrated by vested interests (Pakistan) in the OIC."@MEAIndia@OIC_OCI pic.twitter.com/5prH6HO2JY
ओआईसी ने जारी बयान में कहा था कि इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव डॉ. युसेफ अल-ओथैमीन ने जेद्दा में भारतीय राजदूत डॉ. औसाफ सईद से मुलाकात की. इस दौरान कई मसलों पर चर्चा हुई. जम्मू-कश्मीर विवाद के साथ-साथ भारत में मुसलमानों की स्थिति से संबंधित मुद्दों पर चर्चा भी की गई.
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इस्लामिक सहयोग संगठन और भारतीय राजदूत के बीच कश्मीर मुद्दे पर हुई चर्चा को लेकर अरिंदम बागची ने कहा, 'मीटिंग के दौरान विभिन्न मसलों पर बातचीत हुई. हमारे राजदूत ने भारत के बारे में कुछ गलतफहमियों को दूर करने की आवश्यकता से उन्हें अवगत कराया, जो कि ओआईसी में कुछ देशों के निहित स्वार्थों के कारण फैली हैं. आईओसी को भी ऐसे स्वार्थी तत्वों से सतर्क रहना चाहिए कि उनके मंच का इस्तेमाल भारत के आतंरिक मामलों में टिप्पणी करने और भारत विरोध प्रचार के लिए न किया जाए. एकतरफा प्रस्तावों और पूर्वाग्रहों से भरी धारणा को लेकर इस्लामिक देशों को सतर्क रहना चाहिए.'
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ओआईसी की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, ओआईसी के महासचिव डॉ. युसेफ अल-ओथैमीन ने कश्मीर में अपना एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की इच्छा जाहिर की है. माना जा रहा है कि पाकिस्तान के अनुरोध पर इस्लामिक संगठन ने बयान जारी किया है.
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बयान के मुताबिक, ओआईसी महासचिव ने भारतीय राजदूत से पाकिस्तान और भारत के बीच एक बैठक की संभावना के बारे में भी पूछा. ओआईसी के महासचिव ने कहा कि यदि दोनों पक्ष अनुरोध करेंगे तो वह इसमें मदद करने को तैयार हैं.
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भारतीय पक्ष ने इस तरह की यात्रा की अनुमति देने के बारे में कुछ नहीं कहा है. जम्मू-कश्मीर विवाद पर भारत का रुख बहुत साफ रहा है कि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसे इसी तरह से सुलझाया जाना चाहिए. भारत किसी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देगा.
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भारत ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद को रद्द कर दिया था. इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध खत्म कर दिए. कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने पक्ष में लामबंदी करने में जुटा हुआ है. लेकिन भारत स्पष्ट कर चुका है कि कश्मीर उसका आंतरिक मसला है और इसमें किसी को दखल देने की जरूरत नहीं है.
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