नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर दुनिया के तमाम देशों से आ रही प्रतिक्रियाओं के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली को अब अपने असली दोस्तों का पता चल रहा है.
दरअसल, नई दिल्ली में शुक्रवार को आयोजित 'ग्लोबल बिजनेस समिट' में
संवाददाताओं ने विदेश मंत्री से सवाल किया था कि क्या हम दुनिया में अपने
दोस्त खोते जा रहे हैं? इस सवाल के जवाब में एस. जयशंकर ने कहा, शायद अब हम
यह जान पा रहे हैं कि हमारे असली दोस्त कौन हैं.
नए नागरिकता कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यूएनएचआरसी) के रुख को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि ये अंतरराष्ट्रीय संस्था पहले भी गलत साबित हो चुकी है. जम्मू-कश्मीर की स्थिति को लेकर आयोग की रिपोर्ट्स और बयानों का हवाला देते हुए जयशंकर ने कहा कि वे बड़ी आसानी से सीमा पार आतंकवाद की समस्या से किनारा कर लेते हैं जैसे कि इसका कश्मीर से कोई लेना-देना ही ना हो.
वैश्विक मंच पर भारत के कद के बारे में एस. जयशंकर ने कहा, एक वक्त था जब भारत बहुत ही रक्षात्मक मुद्रा में रहा करता था, हमारी क्षमताएं कम थीं, खतरे ज्यादा थे इसलिए हमने तमाम चीजों से दूरी बनाए रखने की रणनीति अपनाई. लेकिन अब हम ये और नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं. अब दुनिया का रुख भी बदल चुका है.
एस. जयशंकर ने कहा, मैं बहुत ही विश्वास के साथ ये बात कह सकता हूं कि आज जब आप भारतीय दूतावास जाते हैं तो वे खुलकर स्वागत करते हैं. भारतीय कारोबारियों को अब जो सहयोग मिलता है, वह कुछ साल पहले नहीं मिलता था.
बता दें कि हाल ही में भारत के दोस्त ईरान ने भी नागरिकता कानून के चलते भड़की दिल्ली हिंसा पर सख्त प्रतिक्रिया दी थी. ईरान के सुप्रीम नेता अयोतुल्लाह खुमैनी ने कहा था कि भारत में मुसलमानों के नरसंहार पर दुनियाभर के मुसलमानों का दिल दुखी है.
भारत सरकार को कट्टर हिंदुओं और उनकी पार्टियों को रोकना चाहिए. उन्होंने
चेतावनी भी दी कि अगर भारत इस्लामी दुनिया की ओर से अलग-थलग होने से बचना
चाहता है तो उसे मुसलमानों के नरसंहार को रोकना होगा.
सऊदी की अगुवाई वाले इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने भी दिल्ली हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की थी और कहा था कि वह इन घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए हैं.
यहां तक कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पड़ोसी देश बांग्लादेश भी कई बार विरोध जता चुका है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा था कि भारत में इस तरह के कानून की कोई जरूरत ही नहीं थी.