फ्रांस के मोंटपेलियर में सारा जेमाही स्थानीय पार्षद का चुनाव लड़ रही हैं जिन्हें पिछले महीने तक राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की सत्ताधारी पार्टी का समर्थन हासिल था. लेकिन मैक्रों की पार्टी ने तब अपने हाथ पीछे खींच लिए जब एक दिन जेमाही हिजाब में चुनाव प्रचार करने निकल गईं.
(फोटो-रॉयटर्स)
26 साल की सारा जेमाही की तरह ही तीन अन्य उम्मीदवारों के साथ यही हश्र हुआ. अब ये सभी स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. फ्रांस के दक्षिणी शहर मोंटपेलियर में ये मैक्रों की पार्टी के समर्थन से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन हिजाब पहनने की वजह से पार्टी ने अपना समर्थन वापस ले लिया.
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इस घटना को फ्रांस में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा कर पाने में मैक्रों की नाकामी के रूप में देखा जा रहा है. लैब टेक्नीशियन का काम करने वाली जेमाही कहती हैं, 'हम हार मानने वाले नहीं हैं.' वह अब भी हिजाब पहनकर चुनाव प्रचार कर रही हैं. उन्हें मोंटपेलियर के ला मोसन में पर्चा बांटते देखा जा सकता है. मोंटपेलियर एक कम आय वाला फ्रांस का जिला है जहां मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है. यह शहर फ्रांस के पूर्व उत्तरी अफ्रीकी उपनिवेशों के मुस्लिम प्रवासियों का पीढ़ियों से घर बना हुआ है.
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जेमाही अपने पहले इंटरव्यू से ही इस्लाम की भूमिका को लेकर फ्रांस की सुर्खियों में हैं. उनका कहना है कि वह समान अवसरों को बढ़ावा देने और भेदभाव से लड़ने पर अपना ध्यान फोकस कर रही हैं. जेमाही कहती हैं, 'ये मेरा घर है. मैं यहां पैदा हुईं हूं. हिजाब हमारे लिए कोई मसला नहीं है.' हालांकि, फ्रांस के अधिकांश हिस्सों में हिजाब का मुद्दा छाया हुआ है.
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Hijab-wearing candidate Sara Zemmahi was dropped by President Emmanuel Macron's ruling party and has sparked a national row about how identity matters in France's local elections https://t.co/4Y7lzs6aD9 pic.twitter.com/A64ocvO9aM
— Reuters (@Reuters) June 8, 2021
हिजाब पहनकर जेमाही के प्रचार करने की तस्वीर सामने आने के बाद इमैनुएल मैक्रों की लारेम पार्टी (LaRem party) दो फाड़ में नजर आ रही है. पार्टी में इस बात पर बहस चल रही है कि देश में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को कैसे कायम किया जाए. इस मसले को तब से हवा मिला है जब से कैथोलिक के बाद इस्लाम फ्रांस में दूसरे सबसे बड़े धर्म के रूप में सामने आया है.
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धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की पैरोकारी करने वालों का मानना है कि फ्रांस में हिजाब पहनना इस्लाम के राजनीतिकरण का प्रतीक बन गया है. इसे फ्रेंच प्रतिरोध की पहचान के खिलाफ भी माना जा रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि फ्रांस के 2022 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले धर्मनिरपेक्षता और पहचान का मुद्दा केंद्र में रहेगा.
ओपिनियन पोल बता रहे हैं कि ला पेन की दक्षिणपंथी नेता मैरिन, मैक्रों के लिए चुनौती देने जा रही हैं. जेमाही के टिकट के प्रमुख महफूद बेनाली कहते हैं कि फ्रांस बदल रहा है. उन्होंने कहा, "मैं उन निर्वाचित अधिकारियों के पक्ष में हूं जो समाज को प्रतिबिंबित करते हैं."
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जेमाही अपने हिजाब को लेकर हठधर्मी नहीं हैं. वह अक्सर लैब में काम करते हुए हिजाब हटा देती हैं. ज़ेमाही के साथी उम्मीदवारों ने कहा कि चुनाव अभियान की तस्वीर उनकी पहचान को जाहिर करने के लिए थी. लेकिन मैक्रों की विपक्षी पार्टी आइडेंटी पॉलिटिक्स को लेकर मैक्रों को घेर रही है. फ्रांस में अस्मिता की राजनीति को इस्लामिक अलगाववाद करार दिया जा रहा है.
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विपक्षी दल के नेता जॉर्डन बार्डेला ने ट्वीट कर पूछा "क्या आप अलगाववाद से ऐसे ही लड़ रहे हैं?" वहीं मैक्रों की पार्टी लारेम के महासचिव स्टैनिस्लास गुरिनी ने जेमाही से समर्थन लेने को जायज ठहराते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी की लाइन साफ है कि चुनावी अभियानों में धार्मिक चिन्हों के लिए कोई जगह नहीं है.
लारेम के प्रवक्ता रोलैंड लेस्क्योर ने रॉयटर्स को बताया, "चुनाव प्रचार के दौरान धार्मिक पोशाक पहनना राजनीतिक काम माना जाता है." हालांकि फ़्रांसीसी कानून चुनावी बैनर पर हिजाब या अन्य धार्मिक प्रतीकों पर रोक नहीं लगाता है. LaRem के सांसद कोराली डबॉस्ट ने अपनी पार्टी के रुख पर खेद जताया. उनका कहना था कि "जेमाही को हमारी पार्टी में जगह मिलनी चाहिए चाहे वह हिजाब पहने या नहीं."
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