व्हाइट हाउस ने बुधवार को संकेत दिए हैं कि अमेरिका चीन के खिलाफ कई और कदम उठा सकता है. हॉन्ग कॉन्ग, तिब्बत और उइगुर मुसलमानों को लेकर अमेरिका कई चीनी अधिकारियों पर बैन लगाने की तैयारी कर चुका है. दूसरी तरफ, चीनी विदेश मंत्री अमेरिका से मतभेद सुलझाने और शांति कायम करने की अपील कर रहे हैं.
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को कहा है कि चीन-अमेरिका के रिश्ते अब तक के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं. चीनी विदेश मंत्री ने उम्मीद जताई है कि अमेरिका चीन को लेकर ज्यादा तार्किक नीतियां बनाएगा और उनके देश को तटस्थ रहकर समझने की कोशिश करेगा.
चाइना-यूएस थिंक टैंक मीडिया फोरम में बातचीत में वांग ने कहा, वैचारिक पूर्वाग्रहों की वजह से कुछ अमेरिकी चीन को मुसीबत या दुश्मन बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. वे चीन के विकास और अमेरिका के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंचाना चाह रहे हैं.
वांग ने कहा, चीन की अमेरिका को चुनौती देने या उसकी जगह लेने की कभी कोई मंशा नहीं रही है. चीन अमेरिका के प्रति अपनी नीतियों में स्थिरता बनाए रखता है और आपसी सम्मान और सहयोग के जरिए अमेरिका-चीन के संबंधों को मजबूत करने के लिए तैयार है.
चीनी विदेश मंत्री ने कहा, लोग कहते हैं कि चीन-अमेरिका संबंध अब कभी भी पहले की तरह नहीं हो पाएंगे लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम इतिहास और वास्तविकता को नकारते हुए आगे बढ़ सकते हैं. हमें भविष्य और अतीत दोनों को देखते हुए अपने संबंध तय करने चाहिए. उन्होंने कहा, ये दावा करना कि चीन की तरक्की पश्चिम के लिए खतरा है, बिल्कुल गलत है. हम ना तो विदेशी मॉडल की नकल करते हैं और ना ही दूसरों से अपने मॉडल की नकल करने के लिए कहते हैं.
वांग ने कहा कि चीन दूसरा अमेरिका ना तो बनना चाहता है और ना ही बन सकता है. उन्होंने कहा कि एक-दूसरे को सुधारने के बजाय चीन और अमेरिका को मिलकर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रास्ता खोजना चाहिए.
वांग ने अमेरिका और चीन को तीन सूचियां बनाने का भी सुझाव दिया. पहली सूची में उन क्षेत्रों को चिह्नित करने के लिए कहा है जिनको लेकर अमेरिका और चीन साथ काम कर सकते हैं और इन पर किसी भी विवाद का असर नहीं पड़े. दूसरी सूची में उन मुद्दों को शामिल करने के लिए कहा है जिन्हें वार्ता के जरिए सुलझाया जा सकता है.
तीसरी कंट्रोल लिस्ट जिसमें ऐसे मुद्दे शामिल होंगे जिन पर दोनों के बीच
सहमति बनना बेहद मुश्किल है. वांग ने कहा कि ऐसा करने से अमेरिका और चीन के
द्विपक्षीय संबंधों को कम नुकसान पहुंचेगा.