अमेरिका के ह्यूस्टन में चीनी दूतावास बंद करने के आदेश के बाद चीन ने पलटवार करने की धमकी दी है. अमेरिका ने कहा है कि ह्यूस्टन में चीनी दूतावास को बंद करने का फैसला अमेरिकियों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी सुरक्षित करने के लिए किया गया है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि अमेरिका ने मंगलवार को दूतावास बंद करने की मांग की थी. वांग ने कहा कि अमेरिका का ये कदम अभूतपूर्व तरीके से टकराव को बढ़ाने वाला है. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका स्थित चीनी दूतावास और राजनयिकों को धमकियां भरे फोन भी आ रहे थे. वांग ने कहा, चीन ये मांग करता है कि अमेरिका अपने इस फैसले को वापस ले. अगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ता है तो चीन भी इसके जवाब में कार्रवाई करेगा.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने अमेरिकी राजदूतों के प्रति सद्भावना दिखाई है और अमेरिका में उसके राजदूतों ने अमेरिका-चीन संबंधों को मजबूत किया है. इसके विपरीत, अमेरिका ने जून महीने में चीनी राजदूतों पर बिना किसी वजह के तमाम तरह की पाबंदियां लगाईं. अमेरिका ने उनके मेल और आधिकारिक संदेश भी जब्त कर लिए थे. वांग ने कहा, अमेरिका की तरफ से जानबूझकर नफरत फैलाने वाले कदमों की वजह से अमेरिका में रह रहे चीनी राजदूतों को जान से मारने की धमकियां तक मिल रही हैं.
वांग ने कहा, चीनी स्थित अमेरिकी दूतावास ने चीन पर हमला करते हुए तमाम आर्टिकल लिखे हैं. ये स्पष्ट होना चाहिए कि कौन किसकी घरेलू राजनीति में दखल दे रहा है और विवाद शुरू कर रहा है.
उन्होंने कहा, अमेरिका का दावा है कि चीन-अमेरिका के संबंधों में असंतुलन है, ये उनका हमेशा का बहाना रहता है जिसका कोई आधार ही नहीं है. वास्तव में, राजदूतों और राजनयिक संस्थाओं की संख्या की बात करें तो चीन के मुकाबले उनकी ही तादाद ज्यादा है.
लेकिन अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोर्गन ओर्तागुस ने कहा, चीन से बताया गया है कि अमेरिकियों की बौद्धिक संपदा और निजी जानकारी की सुरक्षा के मकसद से ह्यूस्टन दूतावास को बंद किया जाए. ओर्तुगस ने कहा कि अमेरिका ये बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा कि हमारे लोगों की संप्रुभता और निजता का चीनी उल्लंघन करें, जैसे हमने चीन के साथ व्यापार में गलत चीजें बर्दाश्त नहीं की और बाकी गलतियों को भी नहीं बख्शा.
वांग की ये टिप्पणी तब आई है जब ग्लोबल टाइम्स के संपादक हु शिजिन ने ट्विटर पर कहा कि अमेरिका ने चीन को दूतावास बंद करने के लिए 72 घंटे का समय दिया है. हु ने कहा, ये पागलपन है. ह्यूस्टन का दूतावास अमेरिका में चीन का पहला दूतावास था. अमेरिका ने ना सिर्फ इसे बंद करने के लिए कहा है बल्कि इसे खाली करने के लिए तीन दिन की मोहलत दी है. ये बिल्कुल ही मूर्खतापूर्ण है. अमेरिका में कुछ लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं. मौजूदा ट्रंप प्रशासन कुछ भी करने के लिए तैयार है.
बुधवार को अमेरिकी मीडिया में रिपोर्ट्स आई थीं कि चीनी दूतावास के परिसर में दस्तावेज जलाए जाने की खबरों पर ह्यूस्टन पुलिस और फायर ऑफिशल्स की प्रतिक्रिया आई है. ह्यूस्टन पुलिस ने कहा कि उसे रात 8 बजे सूचना मिली थी कि मॉन्ट्रोज बोलेवार्ड जहां चीनी दूतावास स्थित है, वहां कुछ दस्तावेज जलाए जा रहे हैं. ह्यूस्टन में चीनी दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 1979 में जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित हुए तो ह्यूस्टन में पहला चीनी दूतावास बनाया गया था. इसके दायरे में दक्षिणी अमेरिका के 8 राज्य आते हैं.
चीन और अमेरिका लगभग हर मोर्चे पर आमने-सामने हैं. कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक-दूसरे पर दोषारोपण से लेकर हॉन्ग कॉन्ग और शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन समेत कई मुद्दों पर दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ा है. पिछले कुछ महीनों में चीन ने अमेरिकी मीडिया का प्रतिनिधित्व करने वाले दर्जनों पत्रकारों को निकाल दिया है जबकि अमेरिका ने अपने यहां काम कर रहे चीनी पत्रकारों पर नए वीजा प्रतिबंध लगा दिए हैं.
दिसंबर महीने में अमेरिका ने चुपचाप दो चीनी राजदूतों को जासूसी के आरोप में बर्खास्त कर दिया था. इन राजदूतों ने वर्जीनिया में संवेदनशील मिलिट्री बेस की तरफ उड़ान भरी थी. हालांकि, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने इन दावों को खारिज कर दिया था.