क्वाड समूह के देशों अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत को लेकर चीन का रुख सख्त होता जा रहा है. अब उसने बांग्लादेश को धमकी दी है कि अगर वो क्वाड देशों के समूह में शामिल होता है यानी अगर उसने क्वाड में किसी भी तरह की भागीदारी के बारे में सोचा तो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध बिगड़ जाएंगे.
(फाइल फोटो-Getty Images)
चीनी राजदूत का यह बयान ऐसे समय आया है जब क्वाड के खिलाफ चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने पिछले महीने बांग्लादेश की यात्रा की थी और उससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बाहरी शक्तियों के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था.
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बहरहाल, ढाका में पत्रकारों को संबोधित करते हुए बांग्लादेश में चीन के राजदूत ली जिमिंग ने क्वाड से दूर रहने की यह चेतावनी दी है. स्थानीय मीडिया ने ली जिमिंग के हवाले से कहा, 'यदि बांग्लादेश चार देशों के समूह के साथ जुड़ता है तो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को काफी नुकसान होगा.'
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Chinese Ambassador in Dhaka Li Jiming has said Bangladesh's relations with China will "substantially get damaged" if Bangladesh joins the Quad alliance.@MFA_China @AKAbdulMomen@MEAIndia @StateDeptSpox@MofaJapan_en @dfat pic.twitter.com/rHDqUPy0bw
— Geeta Mohan گیتا موہن गीता मोहन (@Geeta_Mohan) May 10, 2021
क्वाड को चीन विरोधी बताते हुए ली जिमिंग ने कहा, 'हम किसी भी रूप में इस गठबंधन में बांग्लादेश की भागीदारी नहीं चाहते हैं.' ली जिमिंग ने बताया कि यह संदेश शेख हसीना सरकार को चीन के रक्षा मंत्री वेई फ़ेंघे ने अपनी पिछली यात्रा के दौरान दे दिया था.
असल में, चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंघे ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी लामबंदी के लिए पिछले महीने बांग्लादेश की यात्रा की थी.
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उस दौरान चीन ने बांग्लादेश से अपील करते हुए कहा था कि दक्षिण एशिया में दोनों देशों को मिलकर "सैन्य गठबंधन" स्थापित कर रहीं बाहरी शक्तियों को रोकना चाहिए. चीन ने अपनी लामबंदी को 'प्रभुत्वशाली' शक्तियों को रोकने का प्रयास करार दिया था.
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दरअसल, भारत को लेकर चीन का कड़ा रुख पिछले साल से देखने को मिल रहा है. क्वाड का हवाला देते हुए बांग्लादेश को बीजिंग की यह धमकी चीन की नाराजगी को जाहिर करती है. इससे जाहिर होता है कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की सदस्यता वाले क्वाड की दस्तक को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र को चीन अपने प्रभाव क्षेत्र के रूप में देखता है.
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अभी पिछले हफ्ते ही चीन ने दक्षिण एशियाई देशों के साथ कोरोना और वैक्सीनेशन को लेकर वर्चुअल मीटिंग की थी. विश्लेषकों का मानना है कि अब जब कि चीनी वैक्सीन सिनोफार्मा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मंजूरी मिल चुकी है, तो भारत के पड़ोसी मुल्कों के लिए चीनी वैक्सीन पर स्विच करना बहुत आसान हो जाएगा, विशेषकर तब जब भारत निर्मित वैक्सीन कोविशील्ड अभी निर्यात के लिए उपलब्ध नहीं है.
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बांग्लादेश के बाद चीन के रक्षा मंत्री वेई फ़ेंघे श्रीलंका पहुंचे थे जहां उन्होंने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की थी. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने उस दौरान गोटाबाया राजपक्षे के हवाले से बताया था कि श्रीलंका की अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है और वो इस क्षेत्र में किसी भी बाहरी शक्ति के दबाव में आने वाला नहीं है. उन्होंने कहा था कि श्रीलंका किसी के दबाव में किसी गठबंधन में शामिल नहीं होगा. गोटाबाया राजपक्षे के इस बयान को चीन के पक्ष में माना गया.
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चीन क्वाड देशों अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सक्रियता का विरोध करता रहा है. माना जा रहा है कि क्वाड देश समुद्री क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व के चलते अघोषित रूप से सक्रिय हुए हैं. चीन क्वाड को लेकर पहले ही कड़ी आपत्ति जता चुका है. चीन का कहना है कि विभिन्न देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग पारस्परिक समझदारी, परस्पर विश्वास पर आधारित होना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष को निशाना बनाने पर.
बहरहाल, गौर करने वाली बात यह भी है कि बंगाल की खाड़ी में फ्रांस के साथ क्वाड देशों के युद्धाभ्यास और पिछले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बांग्लादेश की यात्रा के बाद से चीन शेख हसीना की सरकार को लेकर सक्रिय हो गया है. पीएम मोदी के बाद ही चीन के रक्षा मंत्री ने बांग्लादेश की यात्रा की थी.
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