चीन ने अमेरिकी सीनेट की एक समिति के उस बिल का औपचारिक रूप से विरोध किया है, जिसे भारत के लिए काफी अहम माना जा रहा है. अमेरिकी सीनेट की एक शक्तिशाली समिति ने 21 अप्रैल को चीन सामरिक प्रतिस्पर्धा विधेयक को मंजूरी दी थी. इसमें क्वॉड समूह के देशों को समर्थन देने के साथ-साथ भारत संग सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देने की जोरदार वकालत की गई है. भारत के लिए यह विधेयक इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि वो पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर चीन से तनाव का सामना कर रहा है.
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असल में, अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति ने 3 घंटे की लंबी बहस और कई संशोधनों के बाद सामरिक प्रतिस्पर्धा अधिनियम को बुधवार को 21-1 मतों के साथ मंजूरी दे दी. इस विधेयक के मुताबिक, अमेरिका भारत के साथ व्यापक वैश्विक सामरिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और देश के साथ द्विपक्षीय रक्षा विमर्शों एवं सहयोग को और मजबूत करता है.
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चीन के समुद्री दबदबे से अघोषित मुकाबले के लिए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर क्वाड्रिलेट्रल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) समूह बनाया है. 2007 में इस समूह की स्थापना के बाद से समय-समय पर इसके प्रतिनिधि मिलते रहते हैं. पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में चारों देशों के प्रमुखों ने वर्चुअल समिट में हिस्सा लिया था. क्वॉड को चीन को काउंटर करने की रणनीति के तौर पर ही देखा जाता है. क्वाड देशों को चीन 'एशिया का नाटो' करार दे चुका है.
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इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कमेटी के अध्यक्ष, न्यू जर्सी के डेमोक्रेट सांसद रॉबर्ट मेंडेज़ ने कहा, "चीन आज अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सत्ता के हर आयाम पर चुनौती दे रहा है- राजनीतिक, राजनयिक, आर्थिक, नवाचार, सैन्य, यहां तक कि परेशान करने वाले मॉडल के साथ सांस्कृतिक - और वैश्विक प्रशासन के लिहाज से भी चुनौती दे रहा है." (फोटो-AP)
बहरहाल, चीन ने इस कानून को निगरानी करने वाला करार दिया है. चीन के सरकारी 'चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क' (CGTN) की रिपोर्ट के मुताबिक, इस भारी-भरकम कानून के जरिये अमेरिका चीन के प्रौद्योगिकी विकास की निगरानी और इसे धीमा करने के स्पष्ट लक्ष्य के साथ प्रतिबंधित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाएगा. वास्तव में यह पूरी तरह से उथल-पुथल मचाने वाला साबित होगा. (फोटो-AP)
एक समाचार एजेंसी के मुताबिक, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि इस अधिनियम ने गंभीर रूप से विकृत तथ्यों को उजागर किया है, चीन के खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा की वकालत की गई.
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शंघाई में दैनिक प्रेस वार्ता के दौरान वांग वेनबिन ने कहा, 'क्या इसका मकसद प्रतिस्पर्धा में चीन को हराना है? यह विकृत और संकीर्णतावादी मानसिकता किसी भी तरह से विश्व शक्ति की मानसिकता के अनुकूल नहीं है.' चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका से इस विधेयक पर फिर से विचार करने का आह्वान किया है.
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वहीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की विदेश मामलों की समिति के प्रवक्ता यू वेनेज ने कहा कि अमेरिकी विधेयक शीत युद्ध की मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रह से भरा हुआ है और यह पूरी तरह से विकृतियों और चीन की विकास की रणनीतियों के साथ-साथ उसकी घरेलू और विदेश नीतियों को निशाना बनाने वाला है. यू वेनेज ने अमेरिकी विधेयक को चीन के आंतरिक मामलों में व्यापक हस्तक्षेप करार दिया.(फोटो-AP)
यू वेनेज ने कहा कि यह विधेयक न तो समय की प्रवृत्ति के अनुरूप है और न ही विश्व की शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल है. चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने यू वेनेज के हवाले से बताया कि यह विधेयक बर्बाद करने वाला है.. (फोटो-AP)
असल में, चीन इस अमेरिकी विधेयक में सबसे ज्यादा ताइवान से संबंधित एक अनुच्छेद को लेकर खफा है. यू वेनेज ने कहा कि ताइवन से संबंधित अनुच्छेद 'वन चाइना' के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है. यह अनुच्छेद 'ताइवान की आजादी' को लेकर गलत संदेश दे रहा है. इससे अलगाववादी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा.
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