ब्राजील में भारतीय कंपनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन खरीद को लेकर तूफान मचा हुआ है. ब्राजील की जायर बोल्सोनारो सरकार ऊंची कीमत पर कोवैक्सीन सौदा करने को लेकर उलझती दिख रही है. विवाद में जब राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो पर सवाल उठे तो उन्हें सामने आकर सफाई देनी पड़ी, लेकिन इसके बादवूज मामला शांत नहीं हुआ. अब ब्राजील के एक सीनेटर ने जायर बोल्सोनारो के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है और वैक्सीन खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग की है.
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कोरोना महामारी से निपटने के तौर तरीकों की सीनेट कमीशन की जांच में मामला सामने आने के बाद अब दक्षिणपंथी रुझान वाले राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के खिलाफ यह मुकदमा दर्ज किया गया है. ब्राजील का संघीय अभियोजक भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की दो करोड़ डोज के लिए 32 करोड़ डॉलर के सौदे की जांच कर रहा है. ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना था कि उन पर ऊंची कीमत पर कोवैक्सीन का सौदा करने का दबाव था और इस बात से उन्होंने राष्ट्रपति को भी अवगत कराया था.
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रॉयटर्स के मुताबिक सांसद का आरोप है कि राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो मामले से परिचित होने के बावजूद भारतीय कोवैक्सीन के महंगे सौदे को रोकने में नाकाम रहे.
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सीनेट कमीशन के उपाध्यक्ष और विपक्षी सीनेटर रैंडोल्फ रोड्रिग्स ने कहा, "मैंने सुप्रीम कोर्ट में एक आपराधिक शिकायत दर्ज की है क्योंकि गंभीर आरोप है कि राष्ट्रपति ने स्वास्थ्य मंत्रालय में भ्रष्टाचार के मामले की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की." फिलहाल ब्राजील के राष्ट्रपति कार्यालय ने नए घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
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सुप्रीम कोर्ट में अगर आरोप साबित हुए तो जायर बोल्सोनारो को राष्ट्रपति के पद से हटाया जा सकता है. हालांकि इसके लिए अभियोजक जनरल ऑगस्टो अरास की मंजूरी की जरूरत होगी जो कि जायर बोल्सोनारो के राजनीतिक सहयोगी हैं.
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अभियोजक इस बात की जांच कर रहे हैं कि ब्राजील भारत बायोटेक से क्यों महंगी वैक्सीन खरीदने को राजी हुआ जबकि फाइजर कोवैक्सीन से किफायती दाम पर टीका मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया था. कहा जा रहा है कि फाइजर ने ब्राजील को पिछले साल भारतीय वैक्सीन से कम कीमत पर वैक्सीन बेचने का प्रस्ताव दिया था लेकिन जायर बोल्सोनारो की सरकार ने उसे नजरअंदाज कर दिया.
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भ्रष्टाचार के आरोपों पर राष्ट्रपति ने कहा था कि ब्राजील में न तो भारत बायोटेक की वैक्सीन आई है और न ही कोई भुगतान किया गया है तो इसमें भ्रष्टाचार कहां से हो गया.
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ब्राजील से सौद पर भारत बायोटेक ने बयान जारी कर कहा था कि विदेशी सरकारों के लिए कोवैक्सीन की प्रति डोज की कीमत 15-20 डॉलर है. इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. भारत बायोटेक का कहना था कि इसी कीमत पर ब्राजील के साथ करार हुआ था. ब्राजील ने भारत बायोटेक के साथ इस साल फरवरी में समझौते पर हस्ताक्षर किया था. हालांकि भारत बायोटेक का कहना है कि खरीदारी ऑर्डर को मंजूरी नहीं मिलने के कारण ब्राजील को कोवैक्सीन कोई खेप अभी नहीं भेजी गई है.
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कोवैक्सीन की खरीद में वित्तीय अनियमितता का मामला ऐसे समय सामने आया है जब जायर बोल्सोनारो को ब्राजील में कई मोर्चों पर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. माना जा रहा है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से उन्हें अच्छा-खासा नुकसान हो सकता है. हाल के दिनों में ब्राजील में जायर बोल्सोनारो की लोकप्रिया में कमी आई है और एक सर्वे में वह पूर्व वामपंथी राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा से पीछे छूट गए. ब्राजील में अगले साल चुनाव होने वाले हैं.
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ब्राजील में कोरोना से निपटने के तौर-तरीकों को लेकर जायर बोल्सोनारो के खिलाफ लोगों में गुस्सा भी देखने को मिला है. पिछले महीने राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे. पूरे ब्राजील में कोरोना संकट से निपटने में नाकामी को लेकर लोगों ने जायर बोलसोनारो के खिलाफ प्रदर्शन किया था. ब्राज़ील की राजधानी ब्रासिलिया में कांग्रेस के सामने प्रदर्शनकारी एकत्रिए हुए और उन्होंने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लगाने की मांग की. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि देश में पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन मुहैया कराई जाए.
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