पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है. इस मुश्किल समय में फिलहाल वैक्सीन को ही इस जानलेवा वायरस से बचने का कारगर उपाय माना जा रहा है. लेकिन इस बीच, माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक और दुनिया के टॉप बिजनेसमैन बिल गेट्स इस बात को लेकर आलोचना के केंद्र में आ गए हैं कि भारत समेत विकासशील देशों के साथ टीके का फार्मूला साझा नहीं किया जाना चाहिए.
(फाइल फोटो-Getty Images)
असल में, स्काई न्यूज के साथ इंटरव्यू में बिल गेट्स से पूछा गया कि वैक्सीन से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट की सुरक्षा हटा ली जाए और इसे दुनिया के देशों के साथ साझा किया जाए तो क्या इससे सब तक टीका पहुंचाने में मदद मिलेगी?
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इस पर बिल गेट्स ने सपाट लहजे में कहा, 'नहीं.' उन्होंने कहा, 'दुनिया में वैक्सीन बनाने वाली बहुत सी फैक्टरियां हैं और लोग टीके की सुरक्षा को लेकर बहुत ही गंभीर हैं. फिर भी दवा का फार्मूला साझा नहीं किया जाना चाहिए. अमेरिका की जॉन्सन एंड जॉन्सन की फैक्ट्री और भारत की वैक्सीन बनाने वाली एक फैक्ट्री में अंतर होता है. हमारी विशेषज्ञता और पैसे से एक सफल वैक्सीन बनती है.'
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बिल गेट्स ने आगे कहा कि वैक्सीन का फॉर्मूला किसी रेसिपी की तरह नहीं है कि इसे किसी के भी साथ साझा किया जा सके. और यह सिर्फ बौद्धिक संपदा का मामला भी नहीं है. इस वैक्सीन को बनाने में काफी सावधानी रखनी होती है, टेस्टिंग करनी होती है, उसका ट्रायल होना होता है. वैक्सीन बनाने के दौरान हर चीज बहुत सावधानीपूर्वक देखी और परखी जाती है.
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बिल गेट्स यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है कि अमीर देशों ने टीकों के लिए पहले खुद को प्राथमिकता दी है. बिल गेट्स ने कहा, यह बात सही है कि अमेरिका और ब्रिटेन में 30 साल के आयु वर्ग वालों को भी वैक्सीन लग रही है, लेकिन ब्राजील और दक्षिणी अफ्रीका में 60 साल वालों को टीका नहीं लग पा रहा है. यह अनुचित है. गंभीर कोरोना संकट का सामना कर रहे देशों को दो-तीन महीनों में वैक्सीन मिल जाएगी. बिल गेट्स के कहने का आशय यह था कि एक बार विकसित देशों में वैक्सीनेशन पूरा हो जाए तो गरीब देशों को भी टीके मुहैया करा दिए जाएंगे.
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बिल गेट्स की इन बातों पर उनकी खूब आलोचना हो रही है. ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स में लॉ की प्रोफेसर तारा वान हो ने ट्वीट किया, बिल गेट्स बोल रहे हैं कि भारत में लोगों की मौत को रोका नहीं जा सकता है. पश्चिम कब मदद करेगा? वास्तव में अमेरिका और ब्रिटेन ने (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के जरिये) विकासशील देशों की गर्दन को दबाया हुआ है. यह बहुत घृणित है.'
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Gates speaks as if all the lives being lost in India are inevitable but eventually the West will help when in reality the US & UK are holding their feet on the neck of developing states by refusing to break TRIPS protections. It's disgusting.
— Tara Van Ho (Dr) (@TaraVanHo) April 25, 2021
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ग्लोबल जस्टिस नाउ के निदेशक निक डेयर्डन ने कहा कि बिल गेट्स की राय जानकार बुरा लगा. दक्षिणी (अफ्रीका) देशों को (वैक्सीन) नहीं मिलना खराब बात है. हमारे पास जो अतिरिक्त टीका है, ये उन्हें मिलना चाहिए. जब हम काम कर रहे हैं तो कोई भी फैक्ट्री बेकार नहीं है. किसने इस अरबपति को वैश्विक स्वास्थ्य का प्रमुख नियुक्त किया? अरे हां, उसने खुद किया है.
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@GlobalJusticeUK : Gates' remarks, and the ideological framework behind them, as "disgusting." "Who appointed this billionaire head of global health? Oh yeah, he did."
— Mohga Kamal-Yanni (@MohgaKamalYanni) April 27, 2021
Well said @nickdearden75 https://t.co/CZqTMogiHH
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पत्रकार स्टीफन बर्नी ने ट्वीट किया, 'गेट्स एक आशावादी शख्स की तरह काम करते हैं, लेकिन वास्तव में दुनिया को लेकर उनका नजरिया निराशाजनक है. हम अधिक टीके नहीं बना सकते, हम मुनाफे से समझौता नहीं कर सकते, हम अपनी तकनीक के साथ गरीब देशों पर भरोसा नहीं कर सकते, और उन्हें हमारे खाने के बाद जूठन मिलेगा. यह बहुत भद्दी बात है.'
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स्टीफन बर्नी ने आगे कहा, 'गेट्स और उनके जैसे नेताओं का तंग नजरिया हैरान करने वाला है. चेचक हो या पोलियो, दोनों ही मामलों में दुनियाभर में ज्ञान और प्रौद्योगिकी को साझा किया गया है. हमें इस बात की खुशी है कि जीवनकाल की इस सबसे बड़ी मुसीबत वाले वक्त में 'फार्मा' मार्केट को इस संकट को मिटाने देते हैं. यह पूरी तरह से अपने-आप होगा.'
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Bill Gates on Sky today, acts like an optimist but has a truly dismal vision of the world.
— Stephen Buranyi (@stephenburanyi) April 25, 2021
We can’t make more vaccines, we can’t compromise profits, we can’t trust poor countries with our technology, and they’ll get their scraps after we eat. Awful.https://t.co/KZjr31chNI
असल में, कोरोना वैक्सीन को बनाने को लेकर दुनियाभर में इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पर बहस चल रही है. दुनिया के कई देश वैक्सीन के फार्मूले पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स की पाबंदी को खत्म करना चाहते हैं ताकि टीका सभी को आसानी से सुलभ हो सके. लेकिन वैश्विक स्तर पर एक ऐसा तबका है जो सुरक्षा और गुणवत्ता का हवाला देते हुए वैक्सीन का फार्मूल साझा नहीं करने की लगातार हिमायत कर रहा है.
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बहरहाल, सोमवार को द वाशिंगटन पोस्ट में लेख में कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोसेफ स्टिग्लिट्ज़ और पब्लिक सिटिजन के ग्लोबल ट्रेड वॉच के निदेशक लोरी व्लाच ने कहा कि, "कोविड-19 टीकों के लिए बौद्धिक संपदा अवरोधों से संरक्षित करना नैतिक रूप से गलत और मूर्खतापूर्ण है." दोनों लोगों का कहना था कि वैक्सीन को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स से मुक्त करने से विकासशील देश भी टीके का उत्पादन कर पाएंगे. इससे वैक्सीन को लेकर पैदा हुई बड़ी खाई को पाटा जा सकता है और सभी इम्युनिटी बूस्ट कर सकेंगे.
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