लद्दाख में भारत के साथ चल रहे तनाव के बीच चीन भारत के पड़ोसी देशों में साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति अपना रहा है. नेपाल और श्रीलंका को भारत से दूर ले जाने की रणनीति के बाद चीन ने भूटान को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है.
चीन अब भूटान के भू-भाग पर भी कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है. बीजिंग ने पूर्वी भूटान में स्थित साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर अपना दावा किया है. नई दिल्ली स्थित भूटान के दूतावास ने चीन के दावे को लेकर डिमार्च (विरोध पत्र) जारी किया है. भूटान और चीन के औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं लेकिन सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में बातचीत होती रही है.
भूटान के पश्चिमी और मध्य क्षेत्र को लेकर चीन के साथ सीमा विवाद रहा है लेकिन भूटान के पूर्वी सेक्टर को लेकर कभी कोई विवाद नहीं रहा है. चीन ने इससे पहले साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य पर दावा पेश नहीं किया था. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि चीन भारत पर दबाव बनाने के लिए ऐसा कर रहा है.
हाल ही में हुई ग्लोबल एन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल की 58वीं बैठक में चीन ने पहली बार इस इलाके पर अपना दावा पेश किया. चीन ने कहा कि साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य विवादित क्षेत्र है. चीन ने इसके साथ ही साकतेंग परियोजना के लिए फंडिंग का भी विरोध किया था.
भूटान ने इसे लेकर चीन के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई. भूटान ने कहा है कि साकतेंग अभयारण्य भूटान का संप्रभु और अखंड हिस्सा है. हालांकि, भूटान के विरोध के बावजूद चीन के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को अपना दावा फिर से दोहराया. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भूटान के साथ ईस्टर्न, सेंट्रल और वेस्टर्न सेक्टर को लेकर बहुत लंबे समय से सीमा विवाद रहा है. भारत की तरफ इशारा करते हुए चीन ने कहा कि भूटान-चीन के सीमा विवाद में तीसरे पक्ष को अंगुली उठाने का कोई हक नहीं है.
दिलचस्प बात ये है कि भूटान-चीन के बीच 1984 से लेकर 2016 तक हुई सीमा वार्ता में पूर्वी सेक्टर का मुद्दा कभी नहीं उठा. सीमा विवाद को लेकर अब तक हुई 24 दौर की वार्ता में दोनों पक्षों के बीच उत्तरी-मध्य भूटान में 495 वर्गकिमी और पश्चिम में 269 वर्गकिमी भू-भाग को लेकर ही चर्चा हुई है. चीन इस नए दावे के बाद अगले दौर की होने वाली वार्ता में पूर्वी सेक्टर को भी बातचीत में शामिल कराने की कोशिश कर सकता है.
दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर साल 2016 के बाद से वार्ता नहीं हुई है.
2016 में डोकलाम तनाव और फिर कोरोना महामारी की वजह से वार्ता टलती रही.
हालांकि, अब दोनों पक्ष सीमा विवाद पर अगले दौर की वार्ता करने की तैयारी
कर रहे हैं.
द भूटानीज के एडिटर तेनजिंग लामसांग ने ट्वीट किया, "इस तरह के दावे से सीमा वार्ता की अहमियत कम होती है. किसी भी पक्ष के ऐसे नए-नए दावों से सीमा विवाद का मुद्दा और जटिल हो जाएगा क्योंकि फिर भूटान भी सुदूर उत्तर में अपना दावा पेश करेगा. भूटान और चीन को अपने सीमा विवाद को सुलझाने की जरूरत है. इस तरह के फर्जी दावों को सिर्फ दबाव की रणनीति के तौर पर ही देखा जाएगा."
2 जून को जब ग्लोबल एन्वायरमेंट फैसिलिटी काउंसिल की बैठक में साकतेंग परियोजना को लेकर चर्चा हो रही थी तो चीनी काउंसिल के सदस्य जोंगजिंग वांग ने इस पर आपत्ति जताई. चीनी काउंसिल के सदस्य ने कहा कि परियोजना को लेकर भूटान की तरफ से औपचारिक लिखित सहमति आनी चाहिए. हालांकि, जब परियोजना की अंतिम समरी पेश की गई तो चीनी प्रतिनिधि ने कहा कि समरी में यह बात भी शामिल की जानी चाहिए कि चीन इस परियोजना को लेकर विरोध कर रहा है. भूटान की तरफ से भारतीय अधिकारी अपर्णा सुब्रमणि ने कहा कि चीन का दावा सवालों से परे नहीं है और भूटान की तरफ से स्पष्टीकरण आए बिना चीनी नजरिए के साथ आगे नहीं बढ़ा जा सकता है.
इसके बाद बैठक में बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की गई. जीईएफ की सीईओ नाइको ईशी ने कहा कि समरी के बजाय दोनों पक्षों के नजरिए को हाइलाइट्स में रखा जाएगा. लेकिन चीनी पक्ष अड़ियल रवैया अपनाए रहा और समरी में ही चीन के विरोध को शामिल कराने की मांग करता रहा. इस मुद्दे पर एक दिन बाद चर्चा की गई और काउंसिल के सदस्यों में सहमति बनने के बाद तय किया गया कि भूटान को इस परियोजना के लिए फंडिंग मिलेगी. चीन की आपत्तियों को 'एजेंडा आइटम 10, समरी ऑफ द चेयर' के तहत हाइलाइट्स में जोड़ दिया गया.
चीनी काउंसिल के सदस्य ने चीन का पक्ष रखते हुए कहा- "साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य से जुड़ी परियोजना चीनी-भूटान के विवाद क्षेत्र में शामिल है और यह दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के एजेंडे में भी है, इसलिए चीन इस परियोजना का विरोध करता है और परियोजना को लेकर काउंसिल के फैसले को स्वीकार नहीं करता है."
दूसरी तरफ, भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव्स और श्रीलंका के काउंसिल मेंबर ने कहा, "भूटान चीन के काउंसिल मेंबर के दावे को पूरी तरह से खारिज करता है. साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य भूटान का अभिन्न हिस्सा है और भूटान-चीन के बीच हुई सीमा वार्ता में कभी भी इसे विवादित इलाका नहीं बताया गया." भूटान की तरफ से चीन के दावे को खारिज करने के बाद काउंसिल ने साकतेंग वन्यजीव अभयारण्य की फंडिंग को मंजूरी दे दी.