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यूपी: वोटर लिस्ट से कटेंगे करीब 3 करोड़ नाम! 1 करोड़ वोटरों को नोटिस देने की तैयारी

यूपी में वर्तमान में जिस सूची के आधार पर पुनरीक्षण अभियान चल रहा है, उसमें 15 करोड़ 44 लाख से अधिक मतदाता दर्ज हैं. गणना फॉर्म जमा करने की मियाद खत्म होने के बाद जो आंकड़े उभर रहे हैं, उनके अनुसार कुल नामों में से लगभग पौने 19 प्रतिशत नाम हटा दिए जाएंगे.

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आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती 1 करोड़ 11 लाख मतदाता हैं, जिनका कोई भी पिछला रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है. (Photo- PTI)
आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती 1 करोड़ 11 लाख मतदाता हैं, जिनका कोई भी पिछला रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है. (Photo- PTI)

उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का पहला चरण पूरा हो गया है. निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक, इस बार मतदाता सूची के मसौदे (ड्राफ्ट) में भारी फेरबदल होने जा रहा है. साल के अंतिम दिन (31 दिसंबर) जारी होने वाले ड्राफ्ट रोल में पिछली सूची के मुकाबले करीब 2 करोड़ 90 लाख नाम कटना लगभग तय माना जा रहा है.

वर्तमान में जिस सूची के आधार पर पुनरीक्षण अभियान चल रहा है, उसमें 15 करोड़ 44 लाख से अधिक मतदाता दर्ज हैं. गणना फॉर्म जमा करने की मियाद खत्म होने के बाद जो आंकड़े उभर रहे हैं, उनके अनुसार कुल नामों में से लगभग पौने 19 प्रतिशत नाम हटा दिए जाएंगे. इनमें वे लोग शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जो स्थायी रूप से राज्य छोड़ चुके हैं या जिनका नाम एक से अधिक जगह दर्ज है. सबसे ज्यादा नाम राजधानी लखनऊ सहित गाजियाबाद, प्रयागराज, कानपुर, बरेली और नेपाल सीमा से सटे जिलों में कटने की संभावना है.

1.11 करोड़ मतदाताओं का रिकॉर्ड गायब

आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती वे 1 करोड़ 11 लाख मतदाता हैं, जिनका कोई भी पिछला रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है. जांच में पाया गया है कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची में न तो इन मतदाताओं के नाम हैं और न ही इनके माता-पिता या दादा-दादी के. कुल मतदाताओं का लगभग 7 प्रतिशत हिस्सा ऐसे लोगों का है, जिनके पास अपनी पहचान की तस्दीक के लिए कोई ऐतिहासिक रिकॉर्ड नहीं है.

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आयोग को अंदेशा है कि इनमें बड़ी संख्या में वे घुसपैठिए हो सकते हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए वोटर कार्ड तो बनवा लिए, लेकिन अब पैतृक रिकॉर्ड दिखाने में नाकाम रहे हैं.

अब आगे क्या?

31 दिसंबर को ड्राफ्ट मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद इन 'बिना रिकॉर्ड वाले' मतदाताओं को निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ERO) द्वारा नोटिस भेजा जाएगा. नोटिस मिलने के बाद इन मतदाताओं को अपने दस्तावेजी सबूत पेश करने होंगे. यदि उनके जवाब और दस्तावेज संतोषजनक पाए जाते हैं, तभी उनका नाम अंतिम सूची में जोड़ा जाएगा. संतोषजनक प्रमाण न मिलने की स्थिति में उनके नाम स्थायी रूप से हटा दिए जाएंगे.

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