उत्तर प्रदेश सरकार ने पेपर लीक से निपटने के लिए पुलिस भर्ती परीक्षा के तरीके में कुछ अहम बदलाव किए और भर्ती के लिए परीक्षा सफल रहा. पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष राजीव कृष्णा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही स्पष्ट किया था कि परीक्षा सिर्फ सरकारी या अनुदानित स्कूलों में होगी. परीक्षा में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही ड्यूटी पर लगाया जाएगा और टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, और ऐसा ही किया गया.
पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष के मुताबिक, परीक्षा के दौरान इन्फोर्मेशन सिक्योरिटी का ध्यान रखा गया, जिसमें पेपर की सेटिंग, पेपर की प्रिंटिंग सहित सभी गतिविधियों पर निजी तौर पर नजर रखी गई. एक पूर्ण प्रमाण SOP बनाई गई जिसे 100% इम्प्लीमेंट किया गया. यह SOP बिल्कुल स्पष्ट थी और इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ट्रेनिंग दी गई, जिससे चाक-चौबंद व्यवस्था बनी और परीक्षा में कोई सेंध नहीं लगा सका.
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परीक्षा संबंधी 1541 अपराधियों पर रखी गई नजर
राजीव कृष्णा ने बताया कि पिछले 12 सालों में परीक्षा संबंधी अपराधों में शामिल 1541 लोगों को चिन्हित किया गया और उनकी गतिविधियों पर नजर रखी गई. इससे वे और उनके जैसे अन्य लोग हतोत्साहित हुए और परीक्षा से दूरी बनाई.
उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर डाटा एनालिसिस में अहम भूमिका निभाई. इससे संदिग्ध परीक्षार्थियों की पहचान रियल टाइम में की गई. सभी स्तरों पर मॉनिटरिंग की गई, जिससे परीक्षा की पारदर्शिता बनी रही.
संदिग्ध गतिविधियों पर रखी गई लाइव निगरानी
पुलिस रिक्रूटमेंट बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि अभ्यर्थियों की मांग पर परीक्षा कक्षों में 16,400 घड़ियां और सीसीटीवी की व्यवस्था की गई. सीसीटीवी का लाइव फीड भर्ती बोर्ड में मिला, जिससे संदिग्ध गतिविधियों पर निगरानी रखी गई.
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541 संदिग्ध परीक्षार्थियों को पकड़ा गया
रियल टाइम में अलर्ट भेजकर संदिग्ध परीक्षार्थियों की जानकारी 20 मिनट में कराई गई. इसके अंतर्गत 541 संदिग्ध परीक्षार्थियों को पकड़ा गया. उन्होंने बताया कि रिजल्ट जारी करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही आंसर की और फाइनल रिजल्ट प्रकाशित किए जाएंगे.