यूपी में गाजीपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार (29 अप्रैल) को गैंगस्टर के एक मामले में मुख्तार अंसारी और उनके बड़े भाई अफजाल अंसारी को दोषी करार दिया है. मुख्तार बांदा जेल में बंद है. जबकि उसके बड़े भाई और सांसद अफजाल अंसारी को हिरासत में लेकर गाजीपुर की जेल भेजा गया है. 30 साल पहले राजनीति में कदम रखने वाला मुख्तार देखते ही देखते प्रभावशाली नेता बन गया. उससे पहले मुख्तार पूर्वांचल में गैगवार से चर्चा में आया था. आइए जानते हैं मुख्तार के बारे में...
80 के दशक में मुख्तार अंसारी साधु मकनू गैंग का सदस्य था. 1991 में मुख्तार अंसारी ने पहला चुनाव गाजीपुर की सदर सीट से निर्दलीय लड़ा था और हार गया था, उसके बाद मुख्तार ने अपने भाई की सीट मोहम्मदाबाद से सटी मऊ जिले की सदर सीट से किस्मत आजमाई और 1995 में पहली बार विधायक बन गया. बाद में वो मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक हुआ. 1986 में मुख्तार अंसारी का नाम सच्चिदानंद राय हत्याकांड में आया था और उसके बाद पूर्वांचल में गैंगवार से मुख्तार अंसारी सुर्खियों में आया.
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कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जे हटवाए और खुद....
अपराध की दुनिया से ठेके, पट्टे, विवादित जमीन-जायदादों पर कब्जा के साथ रॉबिनहुड (अमीरों से पैसे लूटकर गरीबों में बांटने वाले की तुलना रॉबिनहुड से करते हैं) की छवि बनाने में मुख्तार कामयाब भी रहा. राजनीति में प्रवेश के बाद मुख्तार ने रसूख के साथ दौलत भी खूब कमाई और अपने करीबियों को भी कमाई करवाई. साल 1995 के बाद मुख्तार की निगाह गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र के महुआबाग बाजार के एक प्लॉट पर पड़ी, जहां शिया मुसलमानों का कब्रिस्तान आबाद था और कुछ हिस्से पर झुग्गी-झोपड़ी बनाकर लोग चाय की दुकानों के साथ रहते भी थे. उस जमीन को मुख्तार अंसारी ने धीरे-धीरे कब्जा करना शुरू किया.
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2002 में कृष्णानंद से चुनाव हार गया था मुख्तार का भाई
सूत्र बताते हैं कि जो भी वहां काबिज लोग थे, उन सबको धीरे-धीरे हटा दिया गया और वहां रकबे से ज्यादा जगह को कब्जा करके गजल होटल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का अवैध निर्माण किया गया, जिसके पीछे आज भी थोड़ी-सी जगह कब्रिस्तान के लिए छोड़ी गई है. जानकारों की मानें तो इस के बाबत मुकदमेबाजी भी हुई लेकिन नतीजा सिफर हुआ. 2002 के चुनाव में मुख्तार अंसारी का भाई अफजाल अंसारी मोहम्मदाबाद सीट से चुनाव लड़ा और भाजपा के कृष्णानंद राय से हार गया था.
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उसके बाद अक्टूबर 2005 में मऊ में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के दौरान दंगे भड़के और मुख्तार को जेल जाना पड़ा. 29 नवंबर 2005 को बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या हुई और फिर बदलती सरकारों के साथ आजतक जेलें भी बदलती रहीं, लेकिन मुख्तार अंसारी बाहर नहीं आ सका.
बड़ा बेटा और बहू भी जेल में, बीवी और छोटा बेटा फरार
जानकर बताते हैं कि मुख्तार अंसारी को भले ही गरीबों का मसीहा कहा जाता हो, लेकिन गजल होटल का निर्माण कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध रूप से हुआ था, जिसका नतीजा ये रहा कि वो और उसका परिवार आजतक परेशान है. आज मुख्तार अंसारी, उसका बड़ा बेटा और विधायक अब्बास और बहू निकहत जेल में हैं. बीवी अफशा बेगम और अब छोटा बेटा उमर फरार है. जबकि गजल होटल के साथ कई अन्य प्रॉपर्टीज पर बुलडोजर चल चुका है और वे सभी सीज भी हो चुकी हैं.
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और मुख्तार के करियर में उथल-पुथल आई...
जानकर ये मानते है कि वक्फ/ कब्रिस्तान की जमीन पर अवैध कब्जा कर गजल होटल का निर्माण मुख्तार को भारी पड़ गया और राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई में मुख्तार के दिन फिर गए. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के काफिले पर अंधाधुंध फायरिंग की गई थी, जिसमें विधायक राय समेत सात निर्दोष लोग मारे गए थे, जिसके बाद ये मामला दिल्ली के सदन में काफी दिनों तक गूंजा था. माना जाता है कि कब्रिस्तान की जमीन पर होटल गजल का निर्माण और विधायक के काफिले में निर्दोष लोगों की मौत के बाद मुख्तार के करियर को उथल-पुथल कर दिया, जिसका अंजाम आज यह रहा कि मुख्तार अंसारी की अर्श से फर्श तक की कहानी चर्चा आम है.