ताज ट्रिपेजियम जोन (Taj Trapezium Zone) में पेड़ काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने ताज ट्रिपेजियम जोन में पेड़ काटने की यूपी सरकार की मांग पर कहा कि अदालत इस मामले में आसानी से मंजूरी नहीं देगी. ताज ट्रिपेजियम जोन में पर्यावरण संरक्षण संबंधी मुद्दों पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल पूछे.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट से रोड बनाने के लिए 3874 पेड़ काटने की इजाजत मांगी गई है. इसपर केंद्रीय उच्चाधिकार समिति (सीईसी) को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि समिति यह परखे कि बिना पेड़ काटे रोड का निर्माण कराया जा सकता है क्या? अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई मार्च में करेगा.
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने सेंट्रली एम्पावर्ड कमेटी को निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर हम 5, 6, 7, 8, 9 पेड़ों को भी बचाने में सफल रहे तो यह एक बड़ी कामयाबी है.
केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) यह जांच करेगी कि क्या उत्तर प्रदेश राज्य के लिए प्रस्तावित सड़क निर्माण 3874 पेड़ों को काटे बिना हो सकता है? आगरा-जलेसर-एटा को जोड़ते हुए सड़क बन रही है. इसी के लिए पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई है.
हालांकि, कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी को "अस्पष्ट" बताया है. साथ ही राज्य के इस तरीके की निंदा की. सरकार ने जो फाइल दाखिल की है उस पर कोर्ट द्वारा कहा गया कि 'हम इतनी आसानी से पेड़ नहीं काटने देंगे.'
कोर्ट ने कहा- संविधान का अनुच्छेद 51ए कहता है कि पेड़ों को बचाना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है, हम यह भी दोहराते हैं कि यह सुनिश्चित करना राज्य की भी जिम्मेदारी है कि अधिकतम संख्या में पेड़ों की रक्षा की जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि प्रस्तावित मार्ग का स्केच उपलब्ध कराए. सीमांकन करें. साथ ही सीईसी 1 महीने के भीतर यह पता लगाए कि क्या प्रस्तावित सड़क के संरेखण से समझौता किए बिना कुछ पेड़ों को बचाना संभव था.