scorecardresearch
 

संभल: 35 धार्मिक स्थलों सहित एक साल में हटाए गए 1000 से ज्यादा अवैध अतिक्रमण, खाली हुई 68 हेक्टेयर जमीन

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने संभल में एक साल में 1000 से ज्यादा अतिक्रमण हटाए हैं. इस दौरान 68 हेक्टेयर से ज्यादा सरकारी जमीन को मुक्त कराया गया है.

Advertisement
X
संभल मामले में जुडिशियल कमीशन की रिपोर्ट (File Photo: ITG)
संभल मामले में जुडिशियल कमीशन की रिपोर्ट (File Photo: ITG)

उत्तर प्रदेश के संभल मामले में न्यायिक आयोग की रिपोर्ट कुछ चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट में संभल के अंदर अवैध अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन का ब्यौरा सामने आया है. योगी सरकार ने संभल में एक साल के अंदर एक हजार से ज्यादा अतिक्रमण हटाए हैं. 

यह जानकारी एक रिपोर्ट में सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि 68 हेक्टेयर से ज्यादा अतिक्रमित जमीन को मुक्त कराया गया है.

जो जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई गई है, उसमें चकमार्ग, बंजर, तालाब और सड़क शामिल हैं. ये जमीनें सरकारी थीं, जिन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था. सरकार द्वारा की गई इस कार्रवाई से इन जमीनों को उनके मूल उपयोग के लिए वापस लाया गया है.

अवैध धार्मिक स्थलों पर कार्रवाई...

रिपोर्ट के मुताबिक, एक साल के अंदर 35 से ज्यादा अवैध धार्मिक स्थलों को भी हटाया गया है. इन अवैध धार्मिक स्थलों से दो हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को मुक्त कराया गया है. यह कार्रवाई सरकारी जमीन पर अवैध कब्जों को हटाने की सरकार की पॉलिसी का हिस्सा है.

संभल हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. सूत्रों के मुताबिक, करीब 450 पेज की इस रिपोर्ट में न केवल 24 नवंबर, 2024 की झड़पों, बल्कि संभल में दंगों के इतिहास, आज़ादी के बाद से जनसांख्यिकीय परिवर्तनों और सांप्रदायिक राजनीति की भूमिका को भी शामिल किया गया है.

Advertisement

रिपोर्ट में कहा गया है कि सूत्रों के मुताबिक, इलाके में हिंदुओं की आबादी करीब 15% तक कम हुई है. पिछले साल की हिंसा तब भड़की जब एक स्थानीय अदालत ने शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया, क्योंकि दावा किया गया था कि उस जगह पर पहले एक मंदिर था. प्रदर्शनकारी मस्जिद के पास जमा हो गए और सर्वे दल के साथ गए पुलिसकर्मियों से भिड़ गए. हिंसा में सुरक्षाकर्मियों पर पथराव और आगजनी हुई. वाहनों में आग लगा दी गई और 20 से ज़्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. इस दौरान पुलिस की फायरिंग में स्थानीय नागरिकों की भी मौत हुई थी.

यह भी पढ़ें: संभल मंदिर-मस्जिद विवाद: इस वजह से कोर्ट में सुनवाई टली, 28 अगस्त को मिली अगली 'तारीख'

हिंसा के बाद, संभल हिंसा की जांच के लिए रिटायर्ड हाई कोर्ट के जज देवेंद्र अरोड़ा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया, जिसमें पूर्व आईपीएस अधिकारी एके जैन और अमित प्रसाद सदस्य थे.

सूत्रों ने बताया कि समिति ने पाया है कि संभल में 1947 से अब तक 15 दंगे हुए हैं, जिनमें 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 और 2019 शामिल हैं.

सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में दर्ज है कि संभल की जनसांख्यिकी में भारी बदलाव आया है. आज़ादी के वक्त, नगर निगम क्षेत्र की आबादी में हिंदुओं की संख्या 45% और मुसलमानों की 55% थी. मौजूदा वक्त में हिंदुओं की तादाद सिर्फ 15-20% है, जबकि मुसलमानों की संख्या लगभग 85% है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement