उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद एक बार फिर चर्चा में है. गुरुवार को चंदौसी की सिविल कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन जज ने अगली तारीख 28 अगस्त तय करते हुए सुनवाई टाल दी. यह मामला सिविल जज (वरिष्ठ खंड) आदित्य सिंह की अदालत में सूचीबद्ध था.
हिंदू पक्ष के वकील श्री गोपाल शर्मा ने बताया कि गुरुवार की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने एक आवेदन दायर किया. इसमें कहा गया कि चूंकि यह विवाद पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए लोअर कोर्ट के पास इस पर सुनवाई का अधिकार नहीं है. इस आपत्ति के बाद अदालत ने सुनवाई को 28 अगस्त तक टाल दिया.
मुस्लिम पक्ष की ओर से दिए गए आवेदन में उपासना अधिनियम से जुड़े फैसले का भी हवाला दिया गया. शाही जामा मस्जिद के अधिवक्ता कासिम जमाल ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह स्पष्ट किया है कि जब तक वहां मामले की सुनवाई लंबित है, तब तक किसी अन्य अदालत में धार्मिक विवादों पर सुनवाई नहीं हो सकती.
हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के आदेश को रखा बरकरार
अधिवक्ता कासिम जमाल का कहना था कि यदि लोअर कोर्ट में सुनवाई आगे बढ़ती है तो यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन होगा. गौर करने वाली बात यह है कि मुस्लिम पक्ष ने इस विवाद की विचारणीयता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हालांकि, 19 मई को हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा था.

28 अगस्त तक कोर्ट में दर्ज करा सकते हैं आपत्ति
इस आदेश में अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी और सुनवाई आगे बढ़ाने का निर्देश दिया गया था. अब लोअर कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा है कि यदि कोई आपत्ति दर्ज करनी है तो उसे 28 अगस्त तक पेश किया जाए. यह विवाद पिछले साल 19 नवंबर को तब शुरू हुआ, जब मस्जिद को मंदिर होने का दावा किया गया.
24 नवंबर, 2024 को सर्वे के दौरान भारी बवाल
इस दौरान अधिवक्ता हरि शंकर जैन और विष्णु शंकर जैन समेत हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि संभल की शाही जामा मस्जिद वास्तव में हरिहर मंदिर की जमीन पर बनी है. अदालत ने उसी दिन सर्वे का आदेश दिया था. इसके बाद 24 नवंबर, 2024 को दूसरा सर्वे भी हुआ. इसी दौरान संभल में लोगों के बीच भारी तनाव फैल गया.

संभल में हुई हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत
यहां हालात इतने ज्यादा बिगड़ गए कि हिंसा भड़क उठी. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई. आम लोगों के साथ 29 पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस घटना के बाद पुलिस ने कड़ा रुख अपनाया और सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क, मस्जिद समिति के प्रमुख जफर अली समेत 2,750 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.