संभल के अमरपति खेड़ा में ASI संरक्षित संत अमरा की समाधि स्थल के पास राम-सीता और लक्ष्मण की आकृति व 1200 वर्ष पुराने सिक्के बीते दिनों मिले थे. साथ ही समाधि स्थल के पास से प्राचीन समय के मिट्टी के बर्तन भी मिले थे. जिसके बाद ASI की टीम अमरपति खेड़ा पहुंच गई है.
ASI संरक्षित समाधि स्थल की जमीन को कब्जे में लेने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि आने वाले समय में ASI की टीम सबूत जुटाने के लिए और खुदाई करा सकती है. ये पूरा मामला हयात नगर थाना इलाके के अमरपति खेड़ा का है.
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दरअसल, संभल जिला प्रशासन की ओर से ऐतिहासिक तीर्थ स्थलों को खोजने की कोशिशें लगातार जारी हैं. इसी कड़ी में प्रशासन ने पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाने वाले गुरु अमर की समाधि को खोज निकाला है. जहां सोत नदी के किनारे अल्लीपुर खुर्द गांव के अमरपति खेड़ा में सैकड़ों साल पुराने सिक्के और मिट्टी के बर्तन मिले हैं. अमरपति खेड़ा को लेकर कहा जाता है कि इस स्थल पर आल्हा-ऊदल के गुरु अमर बाबा की समाधि है.
जब गांव के लोगों ने सिक्के व बर्तन मिलने की बात बताई तो एएसआई की टीम के साथ एसडीएम वंदना मिश्रा मौके पर पहुंच गईं. ये स्थल 1920 में भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा संरक्षित किया गया था. मौके पर पहुंची ASI टीम के अधिकारियों और एसडीएम के द्वारा स्थानीय ग्रामीणों से बातचीत करके जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि यहां समय-समय पर मिट्टी की खुदाई होने से प्राचीन काल के सिक्के और काली मिट्टी के बर्तन मिलते रहते हैं, जिनको उठाकर ग्रामीणों के द्वारा रख लिया जाता है.
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इस पूरे मामले में एसडीएम वंदना मिश्रा ने कहा कि अमरपति खेड़ा 1920 से ही ASI संरक्षित रहा है. उसी जगह पर हमारी टीम के द्वारा निरीक्षण किया गया. मौके पर कुछ मिट्टी के बर्तन और पुराने सिक्के मिले हैं. लोगों ने बताया कि यहां पर पुरानी समाधियां रही हैं और वह ASI के रिकॉर्ड में भी हैं. इन्हीं में एक गुरु अमर की समाधि है जो सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समकालीन माने जाते हैं. अभी तक मौके से 300 से 400 पुराने सिक्के मिले हैं. इसमें कुछ सिक्के ब्रिटिश समय के और कुछ उससे भी पुराने समय के हैं.