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Sahitya Aaj Tak Lucknow: 'योगी जी तुम्हें ट्रंप से तीवारी न कर दें...' कवियों के कविता से झूम उठा लखनऊ

Sahitya Aaj Tak 2025 Lucknow: अदब के शहर लखनऊ में एक बार फिर साहित्य, कला और मनोरंजन का मेला 'साहित्य आजतक लखनऊ' का आगाज हो चुका है. साहित्य के सितारों का ये महाकुंभ गोमती नगर के अंबेडकर मेमोरियल पार्क में चल रहा है. शंभू शिखर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने ट्रंप को क्या-क्या नहीं करना है इसपर कविता पढ़ा.

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शंभू शिखर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं.
शंभू शिखर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं.

Sahitya Aaj Tak Lucknow 2025: अदब और तहजीब के शहर लखनऊ में एक बार फिर साहित्य, कला और मनोरंजन का मेला 'साहित्य आजतक का आगाज हुआ. साहित्य के सितारों का ये महाकुंभ गोमती नगर के अंबेडकर मेमोरियल पार्क में आयोजित हो रहा है जिसमें पहले दिन कई हस्तियों ने शिरकत की. अलग-अलग विधा के कलाकारों और सितारों की यह महफिल 16 फरवरी को भी सजेगी. यहां किताबों की बातें हो रही हैं. फिल्मों की बातें हो रही हैं. सियासी सवाल-जवाब किए जा रहे हैं और तरानों के तार भी छेड़े जा रहे हैं.

साहित्य के इस महाकुंभ के पहले दिन 'दस्तक स्टेज-1' पर युवा कवियों का जमावड़ा लगा. इसमें कवि सर्वेश अस्थाना, शंभू शिखर, पंकज प्रसून, सोनरूपा विशाल, चंदन राय और शशि श्रेया ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. कार्यक्रम की शुरुआत हास्य-व्यंग्य के जाने-माने कवि सर्वेश अस्थाना की कविताओं से हुई. उनकी चुटीली रचनाओं ने श्रोताओं को खूब हंसाया और सोचने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने जो कविता पढ़ा, जिसमें नेता जी का चरित्र चित्रण है.

नेता जी ने शादी रचाई, अपनी जन्मजात लेट-लतीफी के कारण पहली रात चौथे दिन मनाई.
कक्ष में प्रवेश के समय फीता काटा गया, सिर्फ उनके समर्थकों के बीच ही मीठा बांटा गया.
उसके बाद नेता जी ने पत्नी के चेहरे का अनावरण किया और उनके समर्थकों ने वहीं पर शिलालेख जड़ दिया.
आज दिनांक -,-,- को नेता जी ने अपने समर्थकों की उपस्थिति में पत्नी के चेहरे का अनावरण किया. 
नेता जी के सहयोगी दल के कुछ नेता वहीं खड़े थे, कमरे के बाहर ही अड़े थे.
नेता जी ने कहा भाइयों आप यहां क्या कर रहें हैं, वे बोले हम कर कुछ नहीं रहे हैं बस आपको बाहर से समर्थन दे रहें हैं. 
इसके बाद नेता जी ने पहली रात बिताई. रात भर पत्नी को कश्मीर, पंजाब, तमिल और आरक्षण समस्या समझाई.
सवेरे जय हिंद कर के संसद चले गए और पत्नी के स्वप्न आजादी के बाद की जनता की आकांक्षाओं की तरह रेत की महलों की तरह ढह गए.

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सर्वेश अस्थाना के बाद शशि श्रेया ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने कविता सुनाई

शव में खुलती खिड़कियां कायल बना देंगी तुम्हें, शोखियां-अंगड़ाइयां घायल बना देंगी तुम्हें.
ऐ नए लड़कों संभल जाओ तुम्हें है मशवरा, ये गुलाबी लड़कियां पागल बना देंगी तुम्हें. 
इस तरह से मुस्करा कर मिल रहे हैं, ऐसा लगता है कि बिछड़ें मिल रहें है.
दुख ये नहीं है कि मुझसे दूर हैं, दुख तो ये है कि वो सभी से मिल रहें हैं.
और एक वो हैं जो मिल के खुश नहीं हैं, एक हम हैं उनसे हंस के मिल रहें है.

शशि श्रेया के बाद पंकज प्रसून ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने राजनीतिक हालात पर कविता पढ़ा-

यदि गारंटी में हो तो फिर माल बदल जाता है, कवि सम्मेलन में कवियों का शॉल बदल जाता है.
और ग्रामर की टीचर ने बचपन में समझाया था, ईडी (ED) पीछे लग जाए तो काल बदल जाता है.
कि मुझे सड़क पर लाकर यारों वो मालामाल हुआ, मेरा शीश महल टूटा पर वो ठन-ठन गोपाल हुआ.
बिखरा हूं अंदर से इतना हालत मेरी मत पूछो, मेरी वाली हुई आतिशी और मैं केजरीवाल हुआ.

पंकज प्रसून के बाद सोनरूपा विशाल ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने पढ़ा-

त्याग तप वीरता की लड़ी हो गई, देश हित में जुड़ी इक कड़ी हो गई.
जो हुई देश कि अस्मिता के लिए मौत, वो जिंदगी से बड़ी हो गई.

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सोनरूपा विशाल के बाद शंभू शिखर ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. उन्होंने ट्रंप को क्या-क्या नहीं करना है इसपर कविता पढ़ा-

लालू से मिलो वो तुम्हें बिहारी न कर दे, जनता तुम्हें यहां की भिखारी न कर दें.
उत्तर प्रदेश आना तुम ट्रंप सोच समझकर, योगी जी तुम्हें ट्रंप से तीवारी न कर दें.
लेनी थी जीत हमने मगर मात ले लिए, कितनी हसीन देखिए जज्बात ले लिए.
दुल्हा बेचारा रील बनाने में रह गया, दुल्हन ने फेरे पंडित जी के साथ ले लिए.

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