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300 साल पुरानी मजार से करोड़ों रुपए की आमदनी, मगर कोई हिसाब नहीं... संभल में वक्फ प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जे और उगाही की शिकायत

स्थानीय निवासी जावेद की ओर से मुख्यमंत्री और जिला मजिस्ट्रेट को की गई शिकायत में दावा किया गया है कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी इस मजार पर झाड़-फूंक और तथाकथित रूहानी इलाज के नाम पर लाखों रुपए की उगाही हो रही है, जिसका कोई हिसाब सरकार या वक्फ बोर्ड के पास नहीं है.

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तहसीलदार धीरेंद्र कुमार ने शुरू की जांच.
तहसीलदार धीरेंद्र कुमार ने शुरू की जांच.

UP News: संभल जिले के जनेटा गांव में वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर अवैध कब्जे और वसूली की शिकायत के बाद राजस्व विभाग की टीम ने जांच शुरू कर दी है. यह मामला 300 साल पुरानी आस्ताना-ए-आलिया कादरिया नौशाहिया मजार से जुड़ा है, जहां कथित तौर पर अवैध रूप से धन उगाही और रूहानी इलाज के नाम पर अनैतिक गतिविधियां चल रही हैं.

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स्थानीय निवासी जावेद की ओर से मुख्यमंत्री और जिला मजिस्ट्रेट को की गई शिकायत में दावा किया गया है कि वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी इस मजार पर झाड़-फूंक और तथाकथित रूहानी इलाज के नाम पर लाखों रुपए की उगाही हो रही है, जिसका कोई हिसाब सरकार या वक्फ बोर्ड के पास नहीं है. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि मजार पर मेले के दौरान अवैध व्यवसाय और मौज-मस्ती के नाम पर अनुचित गतिविधियां होती हैं.

शिकायत के बाद राजस्व विभाग की एक विशेष टीम ने एसडीएम निधि पटेल और तहसीलदार धीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की. इस टीम में , जिसमें 15 लेखपाल और 6 कानूनगो शामिल हैं. 

अधिकारियों ने बताया कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति की स्थिति और उस पर हुए अतिक्रमण की पड़ताल की जा रही है. वित्त वर्ष 2019-20 से संबंधित रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि जमीन का स्वामित्व और उपयोग वैध है या नहीं. 

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एसडीएम निधि पटेल ने कहा, "हमें वक्फ बोर्ड की संपत्ति पर अवैध कब्जे और उगाही की शिकायत मिली थी. हम जमीन के दस्तावेजों और उपयोग की जांच कर रहे हैं. यदि कोई अनियमितता पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी." 

तहसीलदार धीरेंद्र कुमार ने बताया कि मजार के आसपास की खाली जमीन और वहां चल रही गतिविधियों की भी जांच हो रही है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि मजार पर हर साल मेले का आयोजन होता है, जिसमें भारी भीड़ जुटती है. इस दौरान चिकन और अन्य सामग्री की बिक्री के नाम पर अवैध वसूली होती है. शिकायतकर्ता ने दावा किया कि इस धन का कोई लेखा-जोखा नहीं रखा जाता, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है.

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