ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत देने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सोमवार को अपना फैसला सुनाएगा. मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में पूजा की इजाजत के खिलाफ दो याचिकाएं दायर की थी. इजाजत मिलने के बाद हिंदू पक्ष ने यहां मूर्ति भी स्थापित की थी और पूजा का भी आयोजन किया था. मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया था.
वाराणासी के जिला जज ने अपने एक फैसले में हिंदू पक्ष को मंदिर के तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी थी. इसके खिलाफ दायर मुस्लिम पक्ष की दो याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद 15 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब 26 फरवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट सुबह 10 बजे तक अपना फैसला सुनाएगा.
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मुस्लिम पक्षी की पूजा पर रोक लगाने की मांग
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच के पास यह मामला था. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से अपील दाखिल की गई थी. मस्जिद कमेटी की तरफ से दाखिल प्रथम अपीलों पर फैसला सुनाया जाएगा. जिला जज ने 31 जनवरी के अपने फैसले में हिंदू पक्ष को पूजा करने की अनुमति दी थी. इसी पर रोक लगाने की मांग के साथ मुस्लिम पक्ष कोर्ट पहुंचा था. मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में पूजा पर रोक लगाने की मांग की थी.
मस्जिद साइट पर एएसआई रिपोर्ट में मंदिर होने का दावा
वाराणसी अदालत का फैसला चार महिलाओं द्वारा मस्जिद के सीलबंद हिस्से की खुदाई और सर्वेक्षण की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के कुछ दिनों बाद आया था. हिंदू पक्ष के मुताबिक, एएसआई की रिपोर्ट से पता चला कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के निर्माण से पहले एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था, जिसके बाद शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई थी.
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कई हिंदू कार्यकर्ताओं ने चुनौती दी है कि विवादित ज्ञानवापी मस्जिद स्थल पर पहले से एक मंदिर मौजूद था और 17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर इसे ध्वस्त कर दिया गया था, मुस्लिम पक्ष ने इस दावे को खारिज कर दिया था.