बचपन से हमारे देश की ज्यादातर आबादी में अपनी जाति का बोध ऐसा कराया जाता है कि वही लोग बड़े होकर कर्म से ज्यादा जाति के नाम पर गर्व करते हैं. अपनी जाति की नुमाइश की ऐसी ही आदत आज देश की सड़कों पर भी दिखाई देती है. आमतौर पर आप अगर सड़कों पर निकलेंगे तो गाड़ियां देखकर ये बता सकते हैं कि सामने वाला व्यक्ति किस जाति का है. यह हर वाहन के साथ नहीं है, लेकिन बहुत सी गाड़ियों पर जाति या धर्म को दर्शाने वाल स्टीकर साफ दिखाई देते हैं.
इस जातिबोध के बढ़ते प्रकोप पर संज्ञान लेते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी तीन वर्ष पहले सामाजिक ताने बाने को बिगड़ने से बचाने का निर्देश दिया था. इसके बाद यूपी सरकार ने भी इस मामले पर संज्ञान लिया. इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के आदेश पर पुलिस इन दिनों एक मुहिम चला रही है. इस मुहिम में उन वाहनों को रोका जा रहा है जिनपर किसी तरह के जातिसूचक या धर्म को दर्शाने वाले स्टीकर लगे दिखते हैं. इसी के बाद आजतक के रिपोर्टर्स ग्राउंड पर पहुंचे और हकीकत का जायजा लिया.
सड़कों पर दिखे अनेकों डिफॉल्टर वाहन
इस दौरान एक ऑटो दिखा जिस पर अल्लाह हाफिज लिखा था. साथ में 786 का भी स्टीकर लगा हुआ था. ऑटो चालक से जब आजतक ने सवाल किया तो बताया कि 786 लगाना एकदम सही है, देखिए बाकी लोग भी लगाए हैं. इनका हटवा दीजिए तो हम भी हटा देंगे. हमने तो 786 लिखा है, बाकी लोग नाच गाना लिखते हैं. ऑटो चालक ने कहा कि पीछे की जगह अगर अल्लाह आगे लिखा होता तो और अच्छा लगता है. इसके बाद वाहेगुरु लिखा हुआ एक ऑटो दिखा. उनसे सवाल करने पर ड्राइवर ने कहा कि मलिक ने लिखवाया है और उनको बताकर हटवा देंगे.
वहीं एक ओला कैब में पीछे बड़े-बड़े शब्दों में राम लिखा हुआ दिखा. सवाल पूछने पर बोले कि राम भक्ति में लगाया है, सब लोग लगवाते हैं, तो हमने भी लगवा लिया. पहले से लगा है, अब हटवा लूंगा.
वकील साहब की गाड़ी के काले शीशे
इसके बाद एक वकील साहब की गाड़ी दिखी जिसपर महाकाल लिखा था. वहीं नंबर प्लेट पर अधिवक्ता लिखा है और पूरी गाड़ी में काले शीशा लगे दिखे. आजतक के सवाल पूछने पर बताया कि कोई नहीं रोकता. एक बार पुलिस ने रोका था तो आगे का एक शीशा काले से ट्रांसपेरेंट करा दिया था. बाकी गाड़ी में अभी भी काला शीशा लगा है और वही नंबर प्लेट लगी है. सरकार की इस मुहिम को लेकर वकील साहब बोले कि मैं अखबार नहीं पढ़ता तो मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है. साथ ही बोले कि मैं न्यूज देखता ही नहीं हूं.
स्कूल की गाड़ी पर तलवारें
आम गाड़ियां तो आम गाड़ियां आजतक की पड़ताल में स्कूल वैन पर भी दो तलवारें बनी पाई गईं. ड्राइवर बोला 3 महीने पहले लगा था, हटा लेंगे. थोड़ा आगे चलने पर रस्तोगी साहब की गाड़ी दिखाई दी, गाड़ी के पीछे रस्तोगी लिखा दिखा. ड्राइवर साहब पैर फैलाकर गाड़ी में सो रहे थे. सवाल पूछने और कैमरा देखने पर बोले रहने दो भाई फिर मुस्कुराने लगे.
परिवहन विभाग ने भी चलाई मुहिम
आजतक ने परिवहन विभाग के साथ इस मुहिम में भाग लिया. परिवहन विभाग से वहां मौजूद पैसेंजर टैक्स ऑफिसर अनिता वर्मा ने तमाम बाइकर्स और गाड़ी चालकों को हिदायत दी और अपने हाथों से स्टीकर हटवाया. एक बाइक चालक जिनकी गाड़ी के आगे ब्राह्मण लिखा दिखा, वो तो अधिकारियों से ही भिड़ गए. बाइक चालक ने गर्व करते हुए कहा कि ब्राह्मण हैं, इसलिए ब्राह्मण लिखवाया है. परिवहन विभाग ने उनके सामने ही उनका स्टीकर हटाए. आम लोगों के अलावा इस सफर में हमने यह भी जानना चाहा कि इस मुहिम का नेतानगरी से जुड़े लोगों पर क्या असर पड़ता है.
नेतानगरी पर कितना असर?
आज तक ने अपनी पड़ताल में आम आदमियों के बाद नेतानगरी की गाड़ियों की ओर रुख किया तो पाया कि तमाम राजनीतिक दलों की गाड़ियों पर भी जातिसूचक या धार्मिक चिन्ह लगे हैं. कुछ ने तो अपनी नंबर प्लेट तक को नहीं छोड़ा, तो कुछ के शीशे भी काले दिखे. इस दौरान एक बीजेपी नेता की गाड़ी किसी मंदिर से कम नजर नहीं आ रही थी, जिसमे गाड़ी के हर कोने पर धार्मिक नाम लिखे हुए थे और बड़ा-बड़ा हिंदू था, साथ ही नंबर प्लेट भी धार्मिक नाम से सजी हुई थी. सवाल करने पर नेता जी बोले कि मुहिम की जानकारी नहीं थी. हमारी गलती है, हटवा लेंगे. तो वहीं दूसरे नेताओं ने गुस्से भरे अंदाज में कहा कि हिंदू हैं इसलिए हिंदू लिखवाया है.
जब मंत्री जी से पूछा गया सवाल
इस पूरे मामले को लेकर आजतक के रिपोर्टर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के पास पहुंचे. जिन्होंने सीएम योगी के निर्देश के बाद यह आदेश जारी किया था. उन्होंने कहा जो भी जाति सूचक शब्द लगाएगा या नंबर प्लेट से छेड़छाड़ करेगा, उसके खिलाफ एक्शन होगा. आजतक के सवाल कि वीवीआईपी और नेतानगरी से जुड़े लोगों पर कैसे एक्शन होगा? तो मंत्री जी ने कहा कि निष्पक्ष कार्रवाई होगी. इसपर मंत्री ने जज के बेटे का उदाहरण दिया और बोले कि कार्रवाई हुई.
बीते दिन लखनऊ के एसपी ट्रैफिक परमानंद यादव ने बताया था कि एक लाख से अधिक वाहनों की जांच, 10 हजार से ज्यादा का चालान, 63 लाख रुपये जमा कराया गया है.
कैसे शुरू हुई यह मुहिम
आपको बता दें कि साल 2020 में सबसे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने जागरूक नागरिक हर्षपाल प्रभु की शिकायत का संज्ञान लिया था. शिकायत में तब तीन साल पहले कहा गया था कि जातिसूचक स्टीकर गाड़ी में लगाने से सामाजिक ताने बाने को खतरा पहुंचता है. अपनी जाति को बड़ा दिखाने का प्रचलन कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बनता है. तब एक नागरिक की शिकायत पर पीएमओ ने 2020 में यूपी सरकार को जाति-धर्म सूचक स्टीकर गाड़ी पर रोकने के लिए चिट्ठी लिखी थी. 2020 में उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति-धर्म की पहचान गाड़ी पर लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाईनशुरू की थी, जिसे अब दोबारा सख्ती के साथ मुख्यमंत्री के आदेश के बाद लागू कर दिया गया है. उसी के बाद यूपी में पिछले एक हफ्ते के भीतर ही 10 हजार से ज्यादा गाड़ियों पर जाति और धर्म का ठप्पा लगाकर चलने वालों का चालान काटा जा रहा है.
आखिर क्यों लगवाते हैं लोग ऐसे स्टीकर?
ऐसे में एक सवाल है. क्या कभी आपने सोचा कि धर्म और जाति से जुड़े स्टीकर कुछ लोग गाड़ियों पर क्यों लगवाते हैं? शायद इसलिए ताकि जाति का प्रदर्शन करके सत्ता से अपनी करीबी दिखाने की कोशिश हो. किसी खास जाति बाहुल्य इलाके में उसी जाति के लोग अपनी कास्ट का स्टीकर लगाकर वर्चस्व सड़क पर दिखाना चाहते हैं. जाति या पेशे का स्टीकर लगाकर कानून तोड़ बचना चाहते हैं. एक वजह ये भी हो सकती है कि लोगों को कानून के बारे में भी नहीं पता है.