यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यावरण सुरक्षा को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया है. उन्होंने प्रदेश में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के पुनर्गठन का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड की स्थापना 1995 में हुई थी और अब समय की जरूरत के मुताबिक इसमें बड़े बदलाव जरूरी हैं.
हर जिले में खुलेगा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय
फिलहाल राज्य के 75 जिलों में सिर्फ 28 क्षेत्रीय कार्यालय ही काम कर रहे हैं. बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने योगी ने निर्देश दिया है कि इन कार्यालयों को अब 18 मंडलों के आधार पर पुनर्गठित किया जाए और हर जिले में एक नया कार्यालय खोला जाए. इसके अलावा, औद्योगिक गतिविधियों वाले मंडलों में जरूरत के मुताबिक एक से ज्यादा कार्यालय भी बनाए जा सकते हैं.
पर्यावरणीय समस्याओं के लिए बनेगी स्पेशल यूनिट
एक न्यूज एजेंसी की खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आधुनिक दौर की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए बोर्ड में कई नई यूनिट्स बनाई जाएंगी जैसे-ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सेल, तरल अपशिष्ट प्रबंधन सेल, हैजार्ड्स वेस्ट और ई-वेस्ट प्रबंधन यूनिट,बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट, जनशिकायत निवारण सेल, अनुसंधान और विकास (R&D) अध्ययन यूनिट, जन-जागरूकता और पर्यावरणीय प्रकाशन सेल, आईटी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यूनिट के ज़रिए राज्य में पर्यावरण संरक्षण का कार्य और ज्यादा प्रभावी और आधुनिक तरीके से किया जा सकेगा.
अनापत्ति प्रमाणपत्र की प्रक्रिया और तेज होगी
बैठक में सीएम योगी ने उद्योगों से जुड़े सीटीओ (Consent to Operate) और सीटीई (Consent to Establish) जैसी प्रक्रियाओं को और तेज करने पर जोर दिया. उन्होंने बताया कि अभी इनका निस्तारण लाल, नारंगी और हरी श्रेणी के लिए 120 दिन में होता है. जिसे अब घटाकर अब लाल के लिए 40 दिन, नारंगी के लिए 25 दिन, हरी के लिए 10 दिन कर दिया जाएगा. इसके लिए नई व्यवस्था और तकनीकी प्लेटफॉर्म विकसित किए जाएंगे.
नियुक्तियों में आएगी रफ्तार, मिलेंगे बेहतर पैकेज
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोर्ड में रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति की जाए. उन्होंने सुझाव दिया कि आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के योग्य युवाओं को बेहतर वेतन पैकेज के साथ नियुक्त किया जाए. इसके लिए जरूरी नियम बोर्ड स्तर पर तय किए जाएं. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि अनापत्ति और सहमति शुल्क में साल 2008 के बाद कोई बदलाव नहीं हुआ है. अब समय आ गया है कि बोर्ड इस पर गंभीरता से विचार करे और जरूरत के अनुसार बदलाव करे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे विकास मॉडल का अहम हिस्सा है. बदलते वक्त और बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए हमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को और मजबूत, प्रभावी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाना होगा.