देश भर में जहां एसआईआर फॉर्म को सौ प्रतिशत करने के लिए बीएलओ सहित जिला प्रशासन द्वारा पूरी ताकत लगा देने के बावजूद लक्ष्य तक पहुंचने के लिए पसीने छूट जा रहे है. वहीं किसी जनपद में BLO काम के बोझ के चलते आत्महत्या तक कर ले रहे हैं. ऐसे में उत्तरप्रदेश के जनपद अमेठी की रहने वाली दिव्यांग महिला बीएलओ ने तय समय से पहले अपने गांव का 100 प्रतिशत एसआईआर का फॉर्म भरवाकर मिशाल कायम की और सभी के लिए एक प्रेरणाश्रोत बन गई हैं. अपनी दिव्यांगता और घर के काम को दरकिनार कर देश हित में काम कर रही राजरानी को उपजिलाधिकारी अमित कुमार सिंह की ओर से सम्मानित कर परिवार के साथ डिनर पर ले जाया जाएगा.
पूरा मामला जनपद के तहसील तिलोई के संग्रामपुर गांव की बूथ संख्या 212 का है जहां की रहने वाली बीएलओ राजरानी पैर से दिव्यांग हैं. उनका चलना फिरना मुश्किल है. इसके बावजूद भी वे एसआईआर के 753 लोगों के फॉर्म को भरकर देश हित में बड़ा काम करते हुए जनपद की पहली 100 प्रतिशत काम पूरा करने वाली बीएलओ बन गई हैं.
बीएलओ राजरानी पैर से दिव्यांग है और बिना सहारे खुद चल फिर नहीं पाती हैं. इसके साथ ही घर की जिम्मेदारियां भी उनपर हैं. लेकिन उन्होंने एसआईआर फार्म को देशहित का काम समझकर इसको महत्व देते हुए घर की जिम्मेदारियां बेटी के कंधे सौंपीं और बेटे का सहारा लेकर घर घर जाकर लोगों को समझाया और अपने गांव का 100 प्रतिशत फॉर्म भरवाकर तय समय से पहले लक्ष्य को पूरा किया है.
राजरानी बताती है की जिस दिन इसकी जिम्मेदारी दी गई मैने देश हित का काम समझकर काम किया और पूरी लगन से काम करने के बाद लक्ष्य को हासिल कर लिया. उन्होंने अन्य बीएलओ को संदेश देते हुए कहा की कोई काम बड़ा नहीं होता है, अगर मन लगाकर काम किया जाए तो कोई भी काम असंभव नहीं होता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आत्महत्या करने के परिवार बिखर जाता है और घरवालों को इसकी परेशानियों उठानी पड़ती है. इससे अच्छा की हिम्मत न हारते हुए अपने काम पर ध्यान दिया जाए.
वहीं बीएलओ द्वारा तय समय से पहले लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर उपजिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया कि वे राजरानी को सम्मानित करते हुए उनके परिवार के साथ डिनर पर जाएंगे.