मुंबई पर 26/11 के आतंकवादी हमले के पांच महीने पहले ही भारत ने अमेरिका को पाक-अफगान सीमा पर स्थित आतंकवादी शिविरों में ‘गोरे चेहरों’ की बढ़ती संख्या और जिहादी समूहों द्वारा ‘डर्टी बम से आगे जाकर क्रूड बम’ बनाने के लिये विखंडनीय सामग्री हासिल करने के प्रयासों के बारे में बता दिया था.
विकीलीक्स द्वारा जारी किये गये 30 मई 2008 के अमेरिकी राजनयिक केबल के मुताबिक भारत के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एम के नारायणन ने नयी दिल्ली आये अमेरिकी सीनेटर रूस फेइनगोल्ड और बॉब केसी के साथ मुलाकात में इसकी जानकारी दी थी.
केबल के मुताबिक नारायणन ने सीनेटरों से कहा कि अमेरिका और भारत के संबंध सिर्फ व्यापार संबंधों, रक्षा सौदों से बढ़कर है.
नारायणन ने आतंकवाद के बारे में कहा कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान की सीमा पर स्थित आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर और अधिक ‘गोरे चेहरों’ को आकषिर्त कर रहे हैं. केबल में कहा गया है, ‘उन्होंने यह भी कहा कि जेहादी समूहों ने विखण्डनीय सामग्री हासिल करने की कोशिश की है और उनके अंदर डर्टी बम से आगे बढ़कर विस्फोटक उपकरण बनाने की क्षमता है.’
नारायणन ने राष्ट्रीय खुफिया एजेंसियों में वर्ष 2006 में मुंबई में हुए विस्फोटों के समय एक समझ की कमी होने को खेदजनक करार दिया था.
केबल के मुताबिक नारायणन ने अनुमान लगाया कि अमेरिका ज्यादा लंबे समय तक भारत में होने वाले आतंकवादी हमलों को अनदेखा नहीं कर सकता है क्योंकि इस साझा खतरे से निपटने के लिये उसने एक ज्यादा ‘सहयोगकारी रूख’ अपनाया है.
केबल में कहा गया है, ‘भारतीय गुप्तचरों ने दक्षिणी और उत्तरीपूर्वी यूरोप, सोमालिया और पश्चिम एशिया में विभिन्न लक्ष्यों का पता लगाया था लेकिन इसमें अमेरिका नहीं था. नारायणन ने भविष्यवाणी की थी कि आतंकवादी अपने असंयमित युद्ध को बढ़ा सकते हैं. उन्होंने पाक-अफगान सीमा पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर में बढ़ते गोरे चेहरों के बारे में बताया था. इसकी सूचना भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दी थी.’
नारायणन ने ध्यान दिलाया, ‘इन रंगरूटों को भारत या एशियाई देशों के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जायेगा.’ लेकिन उन्होंने इस घटनाक्रम पर अपने समकक्षों को चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा कि भारत ने पाया है कि विखंडनीय सामग्री हासिल करने के प्रयास बड़े पैमाने पर हो रहे हैं हालांकि आतंकवादियों ने अभी तक इसे हासिल नहीं किया है.