इन दिनों सोशल मीडिया पर अमेरिका की सेना के एक मार्च का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. यह परेड 14 जून 2025 को वॉशिंगटन डी.सी. में आयोजित की गई थी, जो अमेरिकी सेना के 250वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में थी. आमतौर पर जब सेना की परेड की बात होती है तो अनुशासन, एक जैसी चाल और सटीक तालमेल की उम्मीद की जाती है, लेकिन इस बार दुनिया की सबसे ताकतवर सेना की परेड ने लोगों को हैरान कर दिया.
इस परेड का आयोजन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 79वें जन्मदिन के मौके पर किया गया था. ट्रंप लंबे समय से एक भव्य सैन्य परेड का सपना देख रहे थे, जैसा अक्सर रूस या उत्तर कोरिया में देखा जाता है. जब यह परेड हुई, तो ट्रंप व्हाइट हाउस के बाहर एक मंच पर खड़े होकर टैंकों, विमानों और करीब 7,000 सैनिकों की मार्चिंग को सलामी दे रहे थे. इस परेड की लागत अमेरिकी सेना के अनुसार लगभग 45 मिलियन डॉलर (लगभग 375 करोड़ रुपये) थी.
अमेरिका के सैनिकों को सैलरी नहीं मिली!
हालांकि, कई दर्शकों और सोशल मीडिया यूजर्स ने इस परेड को फीका बताया. न तो भीड़ थी, न ही जोश और न ही सेना की मार्चिंग में तालमेल. कुछ लोगों ने इसे सैनिकों की इस आयोजन में अनिच्छा का संकेत बताया. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और लेखक एंडर्स असलुंड ने इस परेड को 'ट्रंप के लिए एक शानदार शर्मिंदगी" बताया. उन्होंने लिखा कि अमेरिकी सैनिकों को मार्चिंग करना नहीं आता और वे इसे करने में उत्साहित भी नहीं दिख रहे थे. एक यूजर ने तंज कसते हुए कहा कि लगता है जैसे अमेरिकी सैनिकों को सैलरी नहीं मिली, तभी तो उनके कदमों में वो जोश नजर नहीं आया.
मार्च कर रहे हैं जैसे दूध लेने जा रहे
भारत में भी इस परेड को लेकर सोशल मीडिया पर रिएक्शन आए. एंटरप्रेन्योर अभिषेक अस्ताना ने लिखा कि सैनिक ऐसे मार्च कर रहे हैं जैसे दूध लेने जा रहे हों.
एक यूजर ने इसे पूरी तरह 'पैथेटिक' करार दिया
एक यूजर ने कड़ी आलोचना करते हुए लिखा कि इस मार्च को देखकर तो हमारी सेना बेहद कमजोर लग रही है. ना कोई तालमेल, ना जोश, ना सैल्यूट में दम.
ट्रंप की इस परेड में जहां करोड़ों डॉलर खर्च किए गए, वहीं इसकी तुलना में 'नो किंग्स' विरोध मार्च में भारी भीड़ उमड़ी. न्यूयॉर्क, फिलाडेल्फिया, ह्यूस्टन और अटलांटा समेत कई शहरों में लाखों लोग ट्रंप की नीतियों के खिलाफ सड़कों पर उतरे. कुछ प्रदर्शनकारी तो फ्लोरिडा स्थित ट्रंप के मार-ए-लागो निवास और पेरिस तक पहुंच गए