scorecardresearch
 

जूता है जापानी, पतलून इंग्लिस्तानी, फिर भी दिल है... | फोटो देखें

बोटेंग बंधुओं में से एक जर्मनी के लिये खेलता है और दूसरा घाना के लिये. अल्जीरिया के हसन सेबदा ने अंडर 17 खिताब फ्रांस के लिये जीता था. विंस्टन रीड न्यूजीलैंड के हैं लेकिन खेलते डेनमार्क के लिये हैं.

Advertisement
X

बोटेंग बंधुओं में से एक जर्मनी के लिये खेलता है और दूसरा घाना के लिये. अल्जीरिया के हसन सेबदा ने अंडर 17 खिताब फ्रांस के लिये जीता था. विंस्टन रीड न्यूजीलैंड के हैं लेकिन खेलते डेनमार्क के लिये हैं. स्टुअर्ट होल्डेन का जन्म स्काटलैंड में हुआ, उनके पास ब्रिटिश पासपोर्ट है लेकिन अब वह अमेरिकी टीम का हिस्सा है.

विश्व कप में किसी खिलाड़ी की नागरिकता का पता करना इतना आसान नहीं है. मसलन किसी का जन्म किसी और देश में हुआ, उसके पास पासपोर्ट किसी देश का है और अब वह खेल किसी और देश के लिये रहा है.

होल्डेन ने कहा,‘‘ मैं दस बरस की उम्र में अमेरिका चला गया और अब खुद को अमेरिकी ही महसूस करता हूं. मेरे भीतर हालांकि अभी भी स्काटिश तहजीब है जिसे मैं कभी भुला नहीं सकता.’’ फुटबाल के खेल में राष्ट्रीयता बदलने की दास्तान नयी नहीं है. 1950 में इंग्लैंड के खिलाफ अमेरिका के लिये गोल दागने वाले जो गाएजेंस मूलत: हैती के थे. महान फुटबालर अल्फ्रेडो डि स्टेफानो ने स्पेन, कोलंबिया और अपने वतन अर्जेंटीना के लिये खेला. हंगरी के फेरेंक पुस्कास ने कैरियर के आखिरी दौर में स्पेन की नुमाइंदगी की.

Advertisement

फीफा के मौजूदा नियमों के तहत दोहरी नागरिकता वाले खिलाड़ी उम्र के किसी भी मुकाम पर दोनों में से किसी भी देश के लिये खेल सकते हैं बशर्ते वे किसी आधिकारिक मैच (विश्व कप या यूरो चैम्पियनशिप) का हिस्सा नहीं बना हो.

किसी भी शीर्ष खिलाड़ी का सपना विश्व कप में खेलने का होता है. ऐसे में जिस देश में आपकी परवरिश हुई है, उसके लिये खेलना आसान होता है. मसलन फुटबाल के दीवाने ब्राजील की तुलना में डेनमार्क टीम में जगह बनाना आसान होगा. ब्राजील में बेहतरीन खिलाड़ी होने पर भी हो सकता है कि युवा टीम के शिविर में भी जगह ना मिले क्योंकि प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा है. राष्ट्रीय महासंघ भी अपने मूल खिलाड़ियों को तरजीह देना चाहते हैं. विश्व कप में खेलने का मतलब करीब 90 लाख डालर की कमाई है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

वैसे देश बदलने के पीछे व्यावसायिक के अलावा जज्बाती कारण भी होते हैं. ककाउ ने ब्राजील की बजाय जर्मनी के लिये खेलना शुरू किया ताकि गरीबी से निजात पा सके.

मेसुट ओजिल ने जर्मनी और तुर्की दोनों के लिये खेला. उसके माता पिता तुर्क थे जबकि उसका जन्म जर्मनी में हुआ. होल्डेन का जन्म स्काटलैंड में हुआ लेकिन दस बरस की उम्र में वह अमेरिका चला गया. स्काटलैंड ने उसमें रूचि नहीं दिखाई लेकिन अमेरिका में उसकी प्रतिभा को पहचान मिली. वह बीजिंग ओलंपिक में अमेरिकी टीम का हिस्सा बना.

Advertisement
Advertisement