एक अध्ययन ने दावा किया है कि केवल तस्वीरों वाली किताबें, जिसमें कोई शब्द न हो, बच्चों के भाषा कौशल के निर्माण में मददगार साबित होती हैं. माता-पिता सोते समय कहानियां सुनाने में इनकी मदद लेकर अपने बच्चों की अच्छी मदद कर सकते हैं.
समाचार पत्र 'डेली मेल' के मुताबिक, विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता बगैर शब्दों वाली किताबों का पन्ना पलटते समय तस्वीरों की चर्चा पर समय देते हैं. इस दौरान वे बच्चों के सवालों का जवाब भी देते हैं. इस प्रकिया में बच्चों को कठिन शब्दों से सामना होता है.
वाटरलू विश्वविद्यालय, कनाडा के मनोवैज्ञानिकों ने 25 माताओं को अपने बच्चों को साते समय कहानी सुनाने की गतिविधियों पर नजर रखा.
उन्होंने पाया कि माताएं शब्दों वाली किताबों की तुलना में तस्वीरों वाली किताबों को हाथ में लेने के बाद ज्यादा कठिन शब्दों का इस्तेमाल किया.
अध्ययन की लेखिका डेनियाला ओ नील ने कहा, 'माता-पिता खासकर खुद को शब्दहीन पाकर तस्वीरों वाली किताबों को दरकिनार कर देते हैं.'
उन्होंने कहा, 'अध्ययन ने खुलासा किया कि बच्चों के साथ तस्वीरों वाली कहानियों की किताबें पढ़ने से बच्चों को एक अलग किस्म की बात सुनने को मिलती है. यह बच्चों को सुनना बेहद महत्वपूर्ण है.'