scorecardresearch
 

76 यौन उत्पीड़न के थे केस, कोर्ट ने कर दी 378 साल की जेल! कई साल बाद लड़की के आरोप निकले फर्जी

378 साल की सजा काट रहे शख्स पर लगे सभी आरोप को जज ने तक खारिज कर दिया, जब उस पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप फर्जी निकले. अब तक झूठे आरोप के चक्कर में शख्स 16 साल जेल में कट चुका है.

Advertisement
X
झूठे आरोपों की वजह से जेल में बंद नेपाली शख्स (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)
झूठे आरोपों की वजह से जेल में बंद नेपाली शख्स (फोटो - AI जेनरेटेड सांकेतिक तस्वीर)

कैलिफोर्निया के एक व्यक्ति की 378 वर्ष की सजा को तब रद्द कर दिया गया, जब जज के समक्ष यह सबूत पेश किया गया कि आरोप लगाने वाली लड़की ने उससे बदला लेने के लिए झूठे यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था.

आरोपी शख्स गोद ली हुई बेटी ने ही उस पर झूठे आरोप लगाए थे. 58 साल के इंजीनियर और नेपाली प्रवासी ने 2009 में नाबालिग पर यौन उत्पीड़न और अन्य आरोपों के 76 मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद 16 साल जेल में बिताए हैं.

गोद ली बेटी ने लगाए थे संगीन आरोप
आरोपी और उनकी पत्नी ने 1998 में नेपाल से 15 वर्षीय एक बच्ची को गोद लेने का फैसला किया. इसके बाद वे डेविस, कैलिफोर्निया चले गए. 2004 में बच्ची ने आरोप लगाया कि उसे गोद लेने वाले पिता ने उसके प्रेमी से अलग होने के लिए मजबूर किया. जज के अनुसार, उसने पुलिस के सामने दावा किया कि आरोपी ने लगभग चार साल तक उसके साथ हफ़्ते में दो या तीन बार संबंध बनाए. जब तक कि वह उसका घर छोड़कर नहीं चली गई.

Advertisement

लड़की ने झूठ बोलने की बात को स्वीकार किया
हाल ही में हुई सुनवाई में चार लोगों ने कहा कि आरोप लगाने वाली लड़की ने नेपाली शख्स पर  या तो आरोप के बारे में झूठ बोलने की बात स्वीकार की है या फिर वह उनके खिलाफ गुस्से में थी. जज जेने बेरोनियो ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक गवाह ने लड़की को यह कबूल करते हुए सुना कि उसने यौन उत्पीड़न की कहानी गढ़ी थी, क्योंकि वह अमेरिका लौटने के लिए दृढ़ थी और इसके लिए उसे आपराधिक आरोपों का सहारा लेना पड़ा.

जज ने आरोपी की सजा की रद्द
जज बेरोनियो ने कहा कि मैंने सात वर्षों तक अदालती सामग्री पढ़ी है और मेरा मानना ​​है कि इस बात की पर्याप्त संभावना है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया. मिरर यूएस की रिपोर्ट के अनुसार , जून में सुनवाई निर्धारित है, जहां योलो काउंटी के जिला अटॉर्नी जेफ रीसिग यह तय करेंगे कि आरोपी पर पुनः मुकदमा चलाया जाए या नहीं.

एक वकील, ने इस फैसले की सराहना की. पर्सेल नाम के वकील ने बताया कि हमें शुरू से ही पता था कि अजय देव को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था. न्यायाधीश बेरोनियो पहले न्यायाधीश थे जिन्होंने साक्ष्यों को बारीकी से देखा और प्रत्येक दस्तावेज को पढ़ा.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement