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क्या ‘जी-स्पॉट’ महज एक मिथक है?

स्त्रियों के शरीर के ‘काम क्षेत्र’ या दूसरे लफ्जों में कहें तो ‘जी-स्पॉट’ की अवधारणा को लेकर कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं. कहा जाता है कि यह कुछ स्त्रियों में ही होता है लेकिन एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजों पर यकीन करें तो ‘जी-स्पॉट’ महज एक मिथक है.

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स्त्रियों के शरीर के ‘काम क्षेत्र’ या दूसरे लफ्जों में कहें तो ‘जी-स्पॉट’ की अवधारणा को लेकर कई सवाल आज भी अनसुलझे हैं. कहा जाता है कि यह कुछ स्त्रियों में ही होता है लेकिन एक ताजा सर्वेक्षण के नतीजों पर यकीन करें तो ‘जी-स्पॉट’ महज एक मिथक है.

ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि स्त्री के शरीर में ‘जी-स्पॉट’ के  वजूद का कोई सबूत नहीं है. इसे कुछ लोग ‘गॉडेस स्पॉट’ या ‘सैकरेड स्पॉट’ भी कहते हैं. टाइम्स ऑन लाइन के मुताबिक न्यूजर्सी के रटगर्स यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर बेवेर्ली व्हिप्प्पल को ‘जी-स्पॉट’ की अवधारणा को मशहूर बनाने का श्रेय जाता है.

साल 1950 में इस ‘मायावी काम क्षेत्र’ की खोज का दावा करने वाले जर्मन वैज्ञानिक अर्नस्ट ग्रैफेनबर्ग के नाम पर ‘जी-स्पॉट’ शब्द चलन में आया था. हालांकि परंपरागत डॉक्टरों ने जी-स्पॉट के वजूद को मानने से हमेशा इन्कार किया है. ब्रिटेन की 1800 महिलाओं के बीच के किए गए इस सर्वेक्षण में दावा किया गया है कि स्त्रियों के शरीर में ऐसी किसी चीज का वजूद नहीं है जैसा कि पत्रिकाएं या ‘काम’ के जानकार बताते हैं. जेनेटिक इपीडेमियोलॉजी (आनुवांशिक जानपदिक रोग विज्ञान) के प्रोफेसर टिम स्पेक्टर ने बताया ‘‘स्त्रियां कह सकती हैं कि जी-स्पॉट का होना या न होना उनके खान पान की आदत और कसरत पर निर्भर करता है लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसी किसी चीज को ढूंढ़ना पूरी तरह से नामुमकिन है.’’

गौरतलब है कि प्रो. स्पेक्टर ‘द जर्नल ऑफ सेक्सुअल मेडिसिन’ में प्रकाशित इस शोध के सहलेखक भी हैं. ब्रितानी अखबार ने उनके हवाले से बताया कि इस सवाल को लेकर किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा सर्वे है और अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जी-स्पॉट एक व्यक्तिपरक अवधारणा है.

शोध का नेतृत्व करने वाली एंद्रिया ने कहा कि वह ‘अपूर्णता’ के एहसास को खत्म करने को लेकर बेहद फिक्रमंद  थीं क्योंकि इससे अपने भीतर ‘काम क्षेत्र’ की गैरमौजूदगी को लेकर स्त्रियों परेशान हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि ‘‘ऐसी किसी चीज को लेकर दावा करना जिसका वजूद ही साबित नहीं हो पाया हो गैर जिम्मेदाराना रवैया होगा.’’

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