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'हार्ट अटैक आया, 6 बार रुकी धड़कन', लंदन में इस भारतीय के लिए भगवान बने डॉक्टर

लंदन में पढ़ रहे एक भारतीय छात्र के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उसे भी एहसास है कि वह मौत के मुंह से बाहर आया है. जब वह कुछ लोगों को सड़क पर पड़ा मिला तो उसे अस्पताल ले जाया गया. कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में उसे बचाने में डॉक्टरों ने जी जान लगा दी.

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(Credits: X/@ImperialNHS)
(Credits: X/@ImperialNHS)

जिंदगी में कुछ हादसे ऐसे होते हैं जो सोच को बदलकर रख देते हैं. या कई बार जिंदगी को नया मकसद दे देते हैं. सिएटल के रहने वाले और टेक्सास के बायलर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले भारतीय अमेरिकी छात्र अतुल राव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. 27 जुलाई को, राव के साथी छात्रों ने उन्हें सड़क पर गिरा हुआ पाया. लंदन एम्बुलेंस सेवा के कर्मचारियों के आने से कुछ मिनट पहले इंपीरियल कॉलेज लंदन के सुरक्षा गार्ड द्वारा उन्हें सीपीआर दिया गया अस्पताल में मालूम हुआ कि राव के फेफड़ों में खून का थक्का जम गया है, जिससे उनके हार्ट में ब्लड फ्लो रुक गया है. इस स्थिति को पल्मोनरी एम्बोलिज्म कहा जाता है और इसी के कारण उन्हें कार्डियक अरेस्ट हो गया.

 क्लॉट-बस्टिंग दवाओं से सुधरी हालत

हैमरस्मिथ अस्पताल के कर्मचारियों ने अतुल को जीवित रखने के लिए रात भर कोशिश की और अगले दिन गंभीर हालत में उन्हें सेंट थॉमस अस्पताल ले जाया गया. उन्हें एक्स्ट्राकोर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) की जरूरत थी - ये एक तरह का लाइफ सपोर्ट सिस्टम होता है जो हृदय और फेफड़ों के काम को पूरी तरह से बदल सकता है ताकि रोगी को ठीक होने का समय मिल सके. लेकिन क्लॉट-बस्टिंग दवाओं ने काम करना शुरू कर दिया था और अन्य लाइफ सपोर्ट मशीनों की मदद से, वह ईसीएमओ के बिना ही ठीक होने लगा.

'एक दिन में 6 बार रुकी धड़कन'

इंपीरियल कॉलेज हेल्थकेयर एनएचएस ट्रस्ट के हैमरस्मिथ अस्पताल में महत्वपूर्ण देखभाल सलाहकार डॉ. लुइट ठाकुरिया ने कहा- अतुल को पूरी तरह टीम वर्क की मदद से बचाया गया. ये लगभग नामुमकिन था क्योंकि पूरे एक दिन में अतुल की धड़कन लगभग 6 बार रुकी थी.

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'दूसरी जिंदगी में कुछ करना चाहता हूं'

अतुल ने बताया-'जैसे ही मैं जागा और खुद को ठीक ठीक पाया को. तो मैं समझ गया कि मौत के मुंह से निकलकर मुझे जीने का ये जो दूसरा मौका मिला है. इसमें मैं दूसरों की मदद करना चाहता हूं.' राव प्री-मेड डिग्री के लास्ट ईयर में हैं  जिसके बाद वे मेडिकल प्रैक्टिस के लिए डिग्री ले सकते हैं.

'सोचा नहीं था कि ये जीवित बचेगा'

इधर, एम्बुलेंस सेवा के पैरामेडिक निक सिललेट ने कहा “आखिरी बार जब मैंने अतुल को देखा तो मुझे नहीं लगा कि वह जीवित बचेगा. ऐसी भयानक हालत के बाद उनसे दोबारा मिलना और उसके माता-पिता से बात करना इस नौकरी में मेरे 18 सालों में एक बहुत ही खास पल था."

'हैमरस्मिथ और सेंट थॉमस हमारे लिए मंदिर'

 अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले अतुल के पिता अजय ने बेटे की हालत जानने के बाद लंदन की अपनी डर से भरी उड़ान को याद किया. उन्होंने कहा- सच कह रहा हूं हैमरस्मिथ और सेंट थॉमस अस्पताल हमारे लिए मंदिर बन गए हैं. हम जब भी लंदन आएंगे तो यहां आएंगे. यह लंदन एम्बुलेंस सेवा, हैमरस्मिथ, सेंट थॉमस और रॉयल ब्रॉम्पटन की अद्भुत चिकित्सा टीमों की कोशिश ही थी कि मेरे बेटे को बचाया जा सका.

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