प्रयागराज के महाकुंभ मेला (Maha Kumbh 2025) में आए नए-नए बाबाओं की चर्चा सोशल मीडिया पर होती रहती है. इनमें से IIT बाबा नाम से फेमस अभय सिंह ने काफी सुर्खियां बटोरी हैं. उन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद साइंस लैब ज्वॉइन करने के बजाय संत बनकर वैराग्य को ज्वॉइन कर लिया. जब लोगों ने जाना कि जिस आईआईटी में दाखिला लेने के लिए प्रतियोगिता की पराकाष्ठा है वहां से डिग्री लेकर एक युवा करोड़ों के पैकेज, कॉरपोरेट का आकर्षण छोड़कर संन्यासी बन गया है तो वे हैरान रह गए.
इसके बाद IIT बाबा के नाम से फेमस हुए अभय सिंह सुर्खियों में बने हुए हैं. लोग उन्हें सुन रहे और समझने की कोशिश कर रहे हैं. इस बीच आजतक की टीम को दिए एक इंटरव्यू में आईआईट बाबा ने कई सवालों के जवाब दिए. अब तक लोगों ने उन्हें दाड़ी में देखा था लेकिन अब वे नए लुक में नजर आए. क्लीन शेव वाले अपने लुक को लेकर उन्होंने कहा कि मैं बदलाव करता रहता हूं. पहले भी एक मेरे को जब मैं यात्रा में गया था तो वहां देने दो ही चीज बोली थी एक तो बस एक जगह प एक ही रात रुकना है और सिर्फ आगे बढ़ना है मतलब चाहे कितना भी चल पाए तू 1 किलोमीटर या दो किलोमीटर भी चलेगा और कोई तेरे पर कंडीशन नहीं है उस टाइम पे भी मैं ऐसे ही था जैसे चलता रहता चलता रहता था दो तीन महीने हो गए काफी बड़ी बड़ी हो गई फिर सेव कर लेता था तो अभी वो सेव करने का वक्त आ गया, महादेव बोलते हैं.
इसी दौरान उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि कल रात को मैंने दिए लगाए उसी समय एक बंदा मुझसे मिलने आया और आकर बोला कि 10 मिनट पहले मैं गाड़ी में वही बोल रहा था कि ईश्वर वहां मिलेंगे जहां पर अंधेरा होगा और दिए जल रहे होंगे और मेरे कमरे में पूरा अंधेरा है और दिए जल रहे हैं. सोचो न कोइंसिडेंस... तुमको ट्रस्ट करना होता है कि जो महादेव बोल रहे हैं उस करते जाओ उन्होंने बोला कि हां ठीक है कल शेव करना, ऐसे-ऐसे करना.
लुक और इंसान की पहचान पर आगे चर्चा करते हुए आईआईटियन बाबा ने कहा कि जैसे आप कृष्ण को योगेश्वर बोलते हो कृष्ण बाबा तो नहीं बोलते हो, योगी तो सबसे बड़ा है वो, वो इतने बड़े योगेश्वर हैं कि उनको इन सब चीजों से फर्क भी नहीं पड़ता कि वो दाढी रख रहे हैं कि नहीं रख रहे हैं. शारीरिक चीजों से उनको इतना फर्क नहीं पड़ता. महादेव का भी ऐसा ही है. शिव पुराण को अगर पढ़ोगे तो उसमें भी शिवजी अलग-अलग वेशभूषा में नजर आते हैं. पार्वती की शादी वाले किस्से में वे दरबार में नट बनकर चले जाते हैं.
खुद को भगवान मानने को लेकर आईआईटी बाबा ने कहा कि भगवान सबके अंदर है, स्पिरिचुअलिटी का असली मतलब तो यही है, जहां पर बात फसती है वो है कि लोग पूछते हैं कि सबके अंदर है तो सबको पता कैसे नहीं है, अगर सभी के अंदर भगवान है तो हमको कैसे नहीं पता कि हम भगवान हैं. मैं बोल रहा हूं उस ट्रुथ को अहम् ब्रह्मास्मि. कोई जब शिवोहम बोलता है तो उसका क्या मतलब है कि मैं ही शिव हूं. चेतना के स्तर में जब कोई प्योर consciousness में चला जाता है तो उसे महादेव कहा जाता है. जब चेतना शून्य से उतर के नीचे एक ज्ञान की फॉर्म में आ जाती है तो उसे विष्णु कहा गया है. जैसे विष्णु हमेशा सोते रहते और शीर सागर पर ड्रीम करके लाइक पूरे संसार को चलाते रहते हैं, इसे माया के अधिपति कहा जाता है. वहीं, ब्रह्म जानने वाली दुनिया है. ऐसे में चेतना के ये तीनों रूप ही ब्रह्मा, विष्णु, महेश हैं. आप इसको समझते हो तो आपको समझ में आता है कि एक्चुअली में तो ये चेतना के ही रूप हैं जिसको ब्रह्मा-विष्णु-महेश बोला गया है. ये वो कांसेप्ट हैं कि शुरू होना किसी चीज का कंटिन्यू होना और फिर एंड होना.
आप आईआईटियन बाबा का पूरा इंटरव्यू यहां देख सकते हैं-