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UPSC की तैयारी कर रहे युवक का दिल्ली छोड़ते वक्त इमोशनल नोट वायरल, पढ़कर लोग हुए भावुक

शुभ ने लिखा कि दिल्ली हर किसी को अलग कहानी देती है. किसी को ऐसा दर्द जो भूल नहीं पाते, किसी को ऐसी दोस्ती जो जिंदगीभर रहती है, और कुछ को बस यह एहसास कि उन्होंने किसी तरह यहां टिके रहकर खुद को साबित कर लिया.

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दिल्ली सबको अलग कहानी देती है (सांकेतिक तस्वीर -AI)
दिल्ली सबको अलग कहानी देती है (सांकेतिक तस्वीर -AI)

दिल्ली छोड़ने से पहले एक युवक द्वारा लिखा गया फेयरवेल पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वायरल हो गया है. इस पोस्ट में युवक ने अपने 15 महीनों के दिल्ली के सफर को याद करते हुए बताया कि यह शहर कैसे उसे तोड़ा भी, संवारा भी और बदला भी.

 '15 महीनों की यादें कुछ सूटकेस में समेटीं'

पोस्ट शेयर करने वाले युवक शुभ ने लिखा –15 महीने यहां बिताने के बाद अजीब लगता है कि डेढ़ साल की जिंदगी कुछ सूटकेस में समेटकर जा रहा हूं… जैसे रणबीर कपूर किसी शादी के क्लाइमेक्स सीन में दूर चला जाता है.

शुभ ने बताया कि वह पिछले साल UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली आया था. अपने पोस्ट में उसने लिखा कि मैं हमेशा से एक ऐसा लड़का रहा जो शायद ही अपने शहर से बाहर गया हो. लेकिन इस बार कुछ अलग करने की चाह थी.उस शहर में जीने की, जो कभी रुकता नहीं.

'दिल्ली सबको अलग कहानी देती है'

शुभ ने लिखा कि दिल्ली हर किसी को अलग कहानी देती है. किसी को ऐसा दर्द जो भूल नहीं पाते, किसी को ऐसी दोस्ती जो जिंदगीभर रहती है, और कुछ को बस यह एहसास कि उन्होंने किसी तरह यहां टिके रहकर खुद को साबित कर लिया.

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वह आगे लिखता है कि यह शहर आपको झुलसाता भी है और सिखाता भी. मई की धूप में जलाता है, जनवरी की ठंड में जमा देता है, फिर भी वक्त के साथ दिल में जगह बना लेता है.

'यह साल आसान नहीं था'
शुभ ने बताया कि दिल्ली में रहकर उसने खर्च संभालना, खाना बनाना, और जीवन की उलझनों से निपटना सीखा. उसने लिखा कि यह साल आसान नहीं था-मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से कई बार बहुत कुछ टूट गया, लेकिन उसी टूटन में मैं धीरे-धीरे बढ़ा, शायद नजर नहीं आया, पर बदला जरूर हूं.उसने आगे लिखा कि पिछले महीने महसूस किया कि अब थकान चरम पर है. अब घर लौटना जरूरी है.भागने के लिए नहीं, बल्कि खुद को फिर से जोड़ने के लिए.

'शायद कभी लौटूंगा, यादें देखने'

अंत में शुभ ने लिखा, शायद एक दिन फिर इस शहर लौटूंगा.वही छोली भटूरे खाने, वही गलियों में बिना मकसद घूमने, या बस उन लोगों से मिलने जिन्होंने दिल्ली को घर जैसा बना दिया था, लेकिन अभी वक्त है रुकने, खुद को ठीक करने और आगे बढ़ने का.

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