scorecardresearch
 

यहां तिल-तिल कर बढ़ते हैं भगवान, अनहोनी के पहले बदलने लगता है स्वरूप

ब‍िहार में पश्च‍िमी चंपारण ज‍िले के इस मंद‍िर में हर वर्ष जन्माष्टमी को एक नए शालिग्राम भगवान अवतार लेते हैं. नेपाल के राजा ने इस मंदिर के संस्थापक को शालिग्राम भगवान को एक छोटी सी डिबिया में भेंट स्वरूप दिया था.

Advertisement
X
शालिग्राम भगवान.
शालिग्राम भगवान.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मंदिर प्रांगण में झूठ बोलना मना है, झूठ बोलने वाले को मिलता है दंड
  • सात दरवाजों को पार कर सूर्य की आती है पहली क‍िरण

कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व है, पूरे देश में भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. ब‍िहार के बगहा स्थित विशम्भर नाथ मंदिर के लिए आज का दिन विशेष है क्योंकि आज एक नए शालिग्राम भगवान के अवतार लेने का भी दिन है.

भगवान शालिग्राम जिनको धरती पर भगवान विष्णु का साक्षात रूप माना जाता है, लोग बड़े आदर और विश्वास के साथ इनका दर्शन करने आते हैं. इस मंदिर में सात दरवाजे है और इन सात दरवाजों को पार कर सूर्य की पहली किरण भगवान  का दर्शन करने आते हैं.
 
मंदिर के पुजारी का कहना है कि आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व नेपाल में राजा ने एक छोटी सी डिबिया में भगवान शालिग्राम के इस विग्रह को भेंट स्वरूप इस मंदिर के संस्थापक जियावन भगत को दिया था जो तिल-तिल कर बढ़ते हैं और आज यह विस्तृत स्वरूप में आ गए हैं. 

यह विग्रह देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह भगवान के कच्छप अवतार का स्वरूप है जिसमें समुद्र मंथन के समय हुए चिन्ह भी देख सकते हैं. भगवान के इस विग्रह में अब साफ उनके घुंघराले बाल और जनेऊ साफ दिखाई देते हैं. भगवान को पसीना भी आता है इसलिए इनको घी का लेप लगाया जाता है. 

Advertisement

दिन में तीन बार भगवान का स्वरूप खुद से बदल जाता है. सुबह, दोपहर और शाम के समय यह अद्भुत बदलाव होता रहता है. जन्माष्टमी को स्वतः रात के बारह बजे इस विग्रह से एक नए शालिग्राम भगवान का अवतार होता है जो अपने आप में किसी चमत्कार से कम नहीं है. 

इस मंदिर के प्रांगण में कोई झूठ नहीं बोलता. ऐसी अनेकों घटना यहां के लोगों ने देखी हैं कि जिसने भी भगवान के सामने झूठ बोला है, उसका दंड जरूर मिलता है. पुजारी ने बताया कि पूरे दुनिया मे महज छः शालिग्राम भगवान के मंदिर हैं जिसमें मात्र दो मंदिर ही भारत में हैं. यहां एक है, दूसरा पश्च‍िम बंगाल में है, बाकी चार मंद‍िर नेपाल में हैं. 

इनपुट-पश्च‍िमी चंपारण से गिरीन्द्र पाण्डेय की र‍िपोर्ट 

 

Advertisement
Advertisement