अमेरिका में एक शख्स ने दावा किया है कि उसके ऊपर आसमानी बिजली गिरी थी. इस वजह से उसकी मौत हो गई थी. उसका शव मुर्दाघर में रखवा दिया गया था, फिर 30 मिनट के बाद वह जीवित हो गया.
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार ऐसा एक्स मरीन और व्यवसायी डैनियन ब्रिंकले के साथ 1975 में हुआ था. 74 वर्षीय बुजुर्ग ने बताया कि बिजली का झटका मेरे कान के ऊपर सिर के किनारे से होते हुए मेरी रीढ़ की हड्डी तक चला गया था.
'ऐसा लगा कमरे में आग का गोला घुस गया हो'
ब्रिंकले ने बताया कि बिजली के झटके ने मुझे हवा में उछाल दिया. छत मेरी नजरों के सामने थी. इसके बाद उसने मुझे वापस नीचे पटक दिया. ऐसा लगा कि आग का एक गोला कमरे में आया और मुझे अंधा कर दिया. बिजली गिरने के बाद मुझे महसूस हुआ कि मैं लकवाग्रस्त हो गया हूं और मैं आग में जल रहा हूं.
30 मिनट के लिए हो गई थी मौत
ब्रिंकले ने दावा किया कि जब उन्हें एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया गया, तो वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. फिर उन्हें अस्पताल के मुर्दाघर में रखवा दिया गया. ब्रिंकले का दावा है कि उनकी आत्मा अस्थायी रूप से उनके शरीर को छोड़ कर चली गई थी. इन सबके लगभग 30 मिनट बाद वो होश में आ गए और जिंदा थे.
मौत के बाद का अनुभव था कुछ अलग
यह बताते हुए कि जब उन पर बिजली गिरी तो क्या हुआ - पूर्व मरीन ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो लोग क्या अपेक्षा करते हैं कि एक प्रकाश पुंज के साथ उसे उसके पूरे जीवन की एक झलक दिखाई देती होगी. मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. मैंने शांत और प्रकाशमय जगह का अनुभव किया. उन्होंने बताया कि उसे ऐसा लगा जैसे वह अपने शरीर से बाहर निकल आया हो और उसे कोई दर्द या तकलीफ नहीं थी. उसने एक सुरंग जैसी संरचना देखी, जिसके अंत में एक चमकदार रोशनी थी. यह अनुभव उन लोगों की कहानियों से मिलता-जुलता है जो मृत्यु के करीब पहुंचकर वापस लौटे हैं.
'मौत के बाद जैसा कुछ नहीं होता है'
ब्रिंकले ने बताया कि मुझे दो बार मौत के बाद का अनुभव हुआ. दूसरे बार इस घटना के 10 साल बाद जब मेरी ओपन हार्ट सर्जरी की जा रही थी तब ऐसा ही कुछ हुआ. उस वक्त भी मैं देवदूतों से मिला और उन्होंने मुझे आगे की जिंदगी जीने के लिए तैयार किया. ब्रिंकले का दावा है कि मौत जैसा कुछ नहीं होता है. इसलिए लोगों को इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. मौत के बाद जिंदगी जैसा कुछ भी नहीं है.
क्या है ऐसे अनुभवों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
एनवाईयू लैंगोन हेल्थ में मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सैम पारनिया ने बताया कि ये अनुभव व्यक्तिगत और भावनात्मक होते हैं. निकट मृत्यु अनुभव को मस्तिष्क की एक खास स्थिति से जोड़ते हैं. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मृत्यु के करीब पहुंचने पर मस्तिष्क ऑक्सीजन की कमी के कारण ऐसी छवियां और अनुभव उत्पन्न कर सकता है. फिर भी, इस तरह की कहानियां हमेशा से मानव जिज्ञासा का विषय रही हैं और मृत्यु के रहस्य को सुलझाने की कोशिश में एक नया आयाम जोड़ती हैं.