पृथ्वी पर एक ऐसी जगह है, जिसे धरती का पाताललोक या नर्क भी कहा जाता है. क्योंकि यह पृथ्वी के नीचले इलाकों में एक है. वैसे तो इससे भी ज्यादा डिपेस्ट प्वाइंट धरती पर मौजूद हैं, लेकिन यहां के खतरनाक वातावरण की वजह से इसे पाताललोक या नर्क की संज्ञा दी जाती है.
ये जगह कितनी खतरनाक होगी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां एसिड की नदियां बहती है. जगह-जगह खौलते गर्म पानी के तालाब हैं, जिनमें कई तरह के प्राकृतिक केमिकल होते हैं और इनसे जहरीला धुआं उठता रहता है. यहां का टेम्प्रेचर कभी 45 डिग्री से नीचे नहीं आता. पृथ्वी पर के सबसे खतरनाक स्थानों में से ये एक है. इसका नाम है डानाकिल डिप्रेशन.
बहती है एसिड की नदियां और हवा में घुली है जहरीली गैस
डनाकिल डिप्रेशन अफ्रीका के इथोपिया में स्थित है. यह धरती का पांचवा सबसे नीचला प्वाइंट है. इसे'नरक का प्रवेश द्वार', 'पाताललोक', 'नर्क' और 'धरती का एलियन हिस्सा' भी कहा जाता है. यह पृथ्वी पर सबसे अजीब जगहों में से एक है. यहां के सक्रिय ज्वालामुखी और इसके आसपास फैले सल्फ्यूरिक एसिड के तालाब लगातार जहरीली गैसों, गर्म तरल पदार्थ और जहरीली गर्म हवा का उत्सर्जन करते हैं. इस वजह से पूरा वातावरण विषाक्त हो जाता है. इस वजह से यहां बड़े-बड़े एसिड के तालाब, झरने और नदियां मौजूद हैं और हवा में सल्फर और क्लोरिन जैसी जहरीली गैस घुली हुई है.
समुद्र से 125 मीटर है नीचे
हॉर्न ऑफ अफ्रीका के मध्य में स्थित डानाकिल डिप्रेशन दुनिया के सबसे दूरस्थ, दुर्गम और कम-अध्ययन वाला स्थान है. यह उत्तर-पश्चिमी इथियोपिया में एक सक्रिय ज्वालामुखियों वाला इलाका है जो समुद्र तल से 125 मीटर नीचे स्थित है, जो इरिट्रिया की सीमा के करीब है.
यहां शायद ही कभी बारिश होती है
यहां का खतरनाक वातावरण और अजीबोगरीब परिदृश्य की वजह से ये जगह किसी एलियन ग्रह या साइ-फाई फिल्म के दृश्य की तरह दिखता है. यहां तापमान नियमित रूप से 45C (113F) तक पहुंच जाता है. यहां शायद ही कभी बारिश होती है. वहीं ज्वालामुखी और आसपास के क्षेत्र से पिघले हुए मैग्मा समुद्र क्रस्ट की सतह के ठीक नीचे बहते रहते हैं.
यहां के सक्रिय ज्वालामुखियों से निकलता रहता है लावा
यहां दो अत्यधिक सक्रिय ज्वालामुखी हैं. उनमें से एक, एर्टा एले, उन मुट्ठी भर ज्वालामुखियों में से एक है जिनके शिखर पर एक सक्रिय, बुदबुदाती लावा से बनी झील है. यह क्षेत्र एसिड के तालाबों और गंदे गर्म पानी भरा हुआ है और इसमें डालोल नामक एक गहरा गड्ढा है. प्राकृतिक रसायनों, नमक और एसिड की वजह से यहां बने बड़े-बड़े गड्ढे में रंग-बिरंगे पानी भरे रहते हैं. ये रंगीन पानी समुद्री जल में मौजूद नमक और मैग्मा में मौजूद खनिज के कारण होता है.

एसिड के झील और तालाबों से निकलता रहता है जहरीला धुआं
यहां के खौलते तलाबों से रंगीन पानी से गहरा रंगीन धुआं भी उठता रहता है. ये धुआं काफी जहरीला होता है. दरअसल, इसमें मौजूद पानी मैग्मा द्वारा गर्म होकर ऊपर की ओर उठते हैं. समुद्री जल से नमक मैग्मा में मौजूद ज्वालामुखीय खनिजों के साथ प्रतिक्रिया करके चमकीले रंग बनाते हैं. यहां के मिट्टी भी इतनी सांद्रित है कि वह नमक में बदल गई है. यहां चारों तरफ पीले और हरे रंग के चमकदार तालाबों से भरे हैं. इनमें उबलता हुआ गर्म पानी ऊपर उठता है, जबकि जहरीली क्लोरीन और सल्फर गैसें हवा में दम घोंटने वाली जहर घोलती हैं.
इस वजह से रंग-बिरंगे दिखाई देते हैं खौलते तालाब
सबसे गर्म और सबसे अम्लीय तालाबों में, सल्फर और नमक प्रतिक्रिया करके चमकीले पीले रंग की परत बनाते हैं. वहीं ठंडे तालाबों में, तांबे के लवण चमकीले फिरोजा रंग बनाते हैं. इस वजह से यहां के तलाबों में भरे तरल अलग-अलग रंग के दिखाई देते हैं. तस्वीरों में देखने पर तो ये काफी आकर्षक लगते हैं, लेकिन यहां आने पर इस जगह के कठोर वातावरण का पता चलता है. यहां न सांस लेने के लिए शुद्ध हवा है और न ही पीने का सही पानी. इसके अलावा यहां लगातार होने वाली प्राकृतिक रसायनिक अभिक्रियाओं के कारण अजीब से दुर्गंध भी आती रहती है.
किसी एलियन ग्रह सा दिखता है यहां का वातावरण
आसान शब्दों में कहें तो डानाकिल एक एलियन ग्रह जैसा दिखता है और पृथ्वी पर पूरी तरह से अनोखा है. यह कुछ हद तक अमेरिका में येलोस्टोन जैसे सक्रिय हाइड्रोथर्मल क्षेत्रों के समान है, लेकिन यह बहुत गर्म है और इसका पानी बहुत अधिक अम्लीय है. वास्तव में, डानाकिल के पानी का औसत पीएच 0.2 है.