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क्या अपनी राख से फिर खड़ा होगा गाजा? आसान नहीं होगा तबाह शहर को चमकाना

सालों से जारी तबाही, टूटा ढांचा और बिखरी जिंदगियां, इन सबके बीच गाजा को फिर से बसाना किसी सपने से कम नहीं. यहां की हर दीवार और हर चेहरा इस युद्ध की कीमत बयान करता है.

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गाजा में 36 अस्पताल थे, जिनमें से 94 फीसदी को भारी नुकसान पहुंचा है (Photo: Reuters)
गाजा में 36 अस्पताल थे, जिनमें से 94 फीसदी को भारी नुकसान पहुंचा है (Photo: Reuters)

7 अक्टूबर 2023 ये वही दिन था, जिसने गाजा की किस्मत हमेशा के लिए बदल दी. ठीक दो साल पहले, इसी दिन हमास ने इज़रायल पर हमला किया था. इस हमले में करीब 1200 इजरायली नागरिक मारे गए, जबकि 251 लोगों को हमास ने बंधक बना लिया था.

इस हमले के जवाब में इजरायल ने गाजा पर जबरदस्त हमला किया. बमबारी और मिसाइल हमलों ने इस घनी आबादी वाले शहर को मलबे में बदल दिया. कभी बच्चों की हंसी और बाजारों की चहल-पहल से भरे गाजा की गलियां अब खामोश हैं. हजारों घर तबाह हो चुके हैं, और लाखों लोग अब टेंटों में जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं.

क्या फिर मुस्कुराएगा गाजा?
7 अक्टूबर 2023 से पहले गाजा एक उम्मीदों से भरा शहर था. लोग रोजमर्रा की मुश्किलों के बावजूद बेहतर भविष्य की तलाश में जी रहे थे. स्कूल खुल रहे थे, बच्चे खेल रहे थे, दुकानों में रौनक थी. लेकिन अब गाजा के हर कोने से सिर्फ धूल, मलबा और सन्नाटा उठता है.

दो साल गुजर चुके हैं, पर हालात जस के तस हैं. शहर तबाह है, बुनियादी ढांचा खत्म, और जिंदगियां अब भी संघर्ष में हैं. सवाल यही है-क्या गाजा की तकदीर अब बदलेगी? क्या कभी फिर ये शहर वैसा ही चमकता, हंसता और जिंदा नजर आएगा जैसा वो कभी हुआ करता था?

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गाजा की तबाही का अंदाजा अब आंकड़ों से लगाया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में करीब 80 फीसदी इमारतें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं. इस युद्ध में अब तक करीब 4.5 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हो चुका है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि शहर में 54 मिलियन टन से ज्यादा मलबा जमा हो गया है. यानी इतना मलबा हटाने में ही कम से कम 10 साल लग सकते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस सफाई और पुनर्निर्माण प्रक्रिया में लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपए का खर्च आएगा

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20 सितंबर 2025 को उत्तरी गाजा पट्टी में इजरायली सैन्य हमले के बाद धुएं से घिरी तबाह इमारतें (Photo: AP)

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गाजा के पुनर्निर्माण की तैयारी पर चर्चा

इसी बीच खबरें हैं कि अमेरिका गाजा के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी उठाने पर विचार कर रहा है. बताया जा रहा है कि इस जिम्मेदारी की रूपरेखा ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को सौंपी जा सकती है. हालांकि, यह फिलहाल एक योजना मात्र है, जो अभी तक जमीन पर अमल में नहीं आई है.

संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक गाजा की जमीन बंजर हो चुकी है मिट्टी में विस्फोटक रसायनों का लेवल 3 गुना हो गया है. अगर गाजा की जमीन को फिर से उपजाउ बनाया जाएगा तो भी इस काम में 2 दशक से ज्यादा वक्त लग जाएगा. 

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क्या गाजा के बच्चे दोबारा स्कूल जा पाएंगे

गाजा में हुए हमलों ने सबसे गहरा घाव वहां के बच्चों पर छोड़ा है. कभी स्कूल की घंटियों से गूंजने वाला इलाका अब मलबे और सन्नाटे में बदल चुका है. हजारों बच्चों का बचपन, उनकी पढ़ाई, उनके सपने सबकुछ एक पल में छिन गया. रिपोर्टों के मुताबिक, गाजा में हुए हमलों में करीब 90 फीसदी स्कूल पूरी तरह तबाह हो गए हैं. युद्ध से पहले यहां 850 स्कूल और 10 यूनिवर्सिटी थीं, लेकिन अब एक भी शैक्षणिक संस्थान काम की हालत में नहीं है. बच्चों के पास न किताबें बची हैं, न क्लासरूम, और न ही वो माहौल जिसमें वे सपने देख सकें.

अस्पताल भी खंडहर में तब्दील
सिर्फ शिक्षा ही नहीं, स्वास्थ्य व्यवस्था भी लगभग खत्म हो चुकी है. हमले से पहले गाजा में 36 अस्पताल थे, जिनमें से 94 फीसदी को भारी नुकसान पहुंचा है. कई अस्पताल बंद पड़े हैं, जबकि कुछ मुश्किल हालात में आंशिक रूप से काम कर रहे हैं. डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए हालात बेहद कठिन हैं.

गाजा की धरती पर तबाही की कहानी अब भी खत्म नहीं हुई है. इजरायल के हमले में अब तक 66,158 फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 18,430 मासूम बच्चे भी शामिल हैं. हर हमले के साथ गाजा की मिट्टी सिर्फ खून से नहीं, बल्कि टूटे सपनों से भी लाल होती जा रही है.

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गाजा के करीब 90 फीसदी घर या तो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे लोग टेंटों में रहने को मजबूर हैं.(Photo: AP)

रिपोर्टों के मुताबिक, 39,384 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है, यानी गाजा की गलियों में अब हजारों ऐसे बच्चे हैं, जिनकी आंखों में न अब कोई घर है, न कोई परिवार. वे सिर्फ मलबे और यादों के बीच अपनी बची-खुची जिंदगी तलाश रहे हैं.

इतनी तबाही के बाद अब सवाल यही उठता है कि क्या गाजा दोबारा खड़ा हो पाएगा? क्या ये शहर फिर से वैसा बन सकेगा जैसा कभी हुआ करता था जहां बच्चे स्कूल जाते थे, लोग बाजारों में लोग खरीदारी करते थे.

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