भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का मानना है कि राहुल द्रविड़ के जाने के बाद नये बल्लेबाजी स्टार विराट कोहली तीसरे नंबर का स्लॉट लेने को पूरी तरह से तैयार हैं. द्रविड़ हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायर हुए हैं.
अपने करियर पर डाक्यूमेंट्री ‘द वारियर प्रिंस’ के विमोचन के मौके पर गांगुली ने पत्रकारों से कहा कि कोहली भारतीय क्रिकेट के अगले सितारे हैं.
उन्होंने कहा, ‘वह भारतीय क्रिकेट के अगले बड़े सितारे हैं. मैने अपने 22 साल के करियर में इतनी शानदार वनडे पारी नहीं देखी. मुझे उम्मीद है कि वह चैंपियन राहुल द्रविड़ के जाने के बाद तीसरे नंबर की जगह के लिये उपयुक्त हैं.’ कोहली ने एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ 183 रन बनाये थे.
गांगुली ने सचिन तेंदुलकर को भी अंतरराष्ट्रीय शतकों के शतक पर बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘मैने हमेशा से कहा था कि यह शतक तो बनना ही है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. मैं सचिन को बधाई देता हूं. मैने उसे एसएमएस भेजा था.’ मिताली घोष की इस डाक्यूमेंट्री के डीवीडी लॉंच के मौके पर गांगुली ने क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले से अपने करियर के विभिन्न चरणों के बारे में विस्तार से बात की.
उन्होंने कहा, ‘मैं 1991 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 17 बरस का था. मैने पूरे दौरे पर नहीं खेला. कपिल देव जैसे महान क्रिकेटरों से मिलकर मैं अभिभूत था. मुझे लगा कि मुझे ऐसे खब्बू बल्लेबाज के तौर पर ले जाया गया है जो कुछ शॉट लगा सकता है.’
गांगुली ने कहा, ‘लेकिन मैने नेट पर गेंदबाजी की. विश्व कप से पहले मुझे टीम से बाहर कर दिया गया. मैने अगले चार साल रणजी क्रिकेट खेला.’
इंग्लैंड के 1996 दौरे और अपने पहले टेस्ट शतक के बारे में उन्होंने कहा, ‘तब मुझे महसूस हुआ कि मैं खेल सकता हूं’. श्रीलंका के खिलाफ विश्व कप में करियर की सर्वश्रेष्ठ 183 रन की पारी के बारे में उन्होंने कहा कि विश्व कप के पहले मैच में बनाये गए 97 रन ने उस पारी की नींव रखी थी.
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका की सर्द सुबह में मेजबान टीम के चौतरफा तेज आक्रमण का सामना करना आसान नहीं था.’ भारतीय क्रिकेट का रूवरूप बदलने वाली उनकी कप्तानी के बारे में गांगुली ने कहा कि इसमें कई पहलू शामिल थे.
उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों का स्तर बदल गया था. टीम में वीवीएस लक्ष्मण और सहवाग जैसे खिलाड़ी थे. खिलाड़ियों में आक्रामकता और फिटनेस सुधारने की इच्छा थी.’ गांगुली ने टीम को फिटनेस मंत्र देने के लिये न्यूजीलैंड के कोच जान राइट को श्रेय दिया.
संन्यास के बारे में उन्होंने कहा, ‘मेरे भीतर अभी क्रिकेट के दो साल बाकी थे लेकिन मैं खेल का मजा नहीं ले रहा था. मुझे वर्ष के सर्वश्रेष्ठ एशियाई बल्लेबाज का पुरस्कार मिला था लेकिन मुझे लगा कि कुछ सही नहीं है. मैं उस तरह से क्रिकेट नहीं खेलना चाहता था.’