संप्रग के अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के विषय में पार्टी नेता शिवानंद तिवारी के बयान से सहयोगी भाजपा में असहज स्थिति के बीच जद यू ने अपने प्रवक्ताओं को हिदायत दी है कि मीडिया में कुछ भी बोलने से पहले वरिष्ठों से सम्पर्क करें.
जद यू प्रमुख शरद यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘संप्रग के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी को जद यू के समर्थन का मतलब यह नहीं है कि राजग में कोई दरार आ गई है. राजग एकजुट है और आगे भी एकजुट रहेगी.’
शरद की यह टिप्पणी ऐसे समय में सामने आई है जब जद यू महासचिव शिवानंद तिवारी ने भाजपा से पी ए संगमा को समर्थन करने के निर्णय पर फिर से विचार करने को कहा और अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के संबंध में संप्रग का समर्थन किया. शरद ने कहा, ‘दो दिन पहले मैंने जो बयान दिया था वह पार्टी का अधिकृत बयान था. अन्य पार्टी नेता जो बयान देते हैं, वह सार्वजनिक बयान देने से पहले मुझसे या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विचार विमर्श कर लें.’
शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा था कि अगर भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद भी देश के वित्त मंत्री होते तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता. बहरहाल, शरद ने कहा, ‘दो दिन पहले मैंने जो बयान दिया वह अधिकृत बयान था. मुखर्जी को जद यू के समर्थन से पार्टी के कांग्रेस विरोधी रुख में कोई नरमी नहीं आई है.’
उन्होंने कहा, ‘देश में आज जो अव्यवस्था है, उसके लिए हम कांग्रेस और संप्रग को जिम्मेदार मानते हैं.’ उन्होंने कहा कि राजग के घटक दलों की पहले भी राष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में अलग-अलग राय रही है. 2007 में शिवसेना ने प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था जबकि इससे पहले अकाली दल ज्ञानी जैल सिंह का समर्थन कर चुकी है.
सूत्रों ने कहा कि तिवारी के बयान को शरद यादव और नीतीश कुमार दोनों नामंजूर कर चुके हैं. वहीं, भाजपा प्रवक्ता तरुण विजय ने जद यू प्रवक्ता को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘शिवानंद तिवारी का विश्वास इतना क्यों कम हो गया है कि वह संप्रग सरकार के कुशासन की वकालत कर रहे हैं.’