राष्ट्रपति चुनाव के लिए तमिलनाडु से प्रचार अभियान शुरू करने वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति का पद मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि इसकी पेशकश होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे पद हैं, जिन्हें मांगा नहीं जाना चाहिए, बल्कि उनकी पेशकश होनी जानी चाहिए. जब संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस शीर्ष पद के लिए मुझसे चुनाव लड़ने की पेशकश की, तब मुझे खुशी हुई.
तमिलनाडु और पुड्डचेरी से संप्रग के कई केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों को यहां रात्रिभोज के दौरान सम्बोधित करते हुए प्रणब ने कहा कि राष्ट्रपति, सरकार का राष्ट्रीय प्रमुख होता है, भले ही उसके पास कोई वास्तविक कार्यकारी शक्तियां न हों. उन्होंने कहा कि वास्तविक शक्तियां निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के पास होती हैं.
भारत की बहु-सांस्कृतिक, बहुलतावादी, लोकतांत्रिक एवं धर्मनिरपेक्ष समाज का जिक्र करते हुए प्रणब ने कहा कि सबको समान अवसर दिया जाना देश के स्वाधीनता संग्राम और संविधान के आधार की मूल भावना रही है.
चुनाव में जीत की सम्भावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मतदान के लिए अधिकार प्राप्त व्यक्ति एवं संगठनों की संख्या उनके पक्ष में है. प्रणब ने कहा कि यदि हम साधारण तौर पर संख्याओं की गणना करें तो पाएंगे कि अधिकांश दलों ने संप्रग उम्मीदवार के प्रति समर्थन प्रकट किया है.
उन्होंने हालांकि कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस से अपील करेंगे जो संप्रग की घटक है और अभी तक उसने राष्ट्रपति चुनाव पर कोई फैसला नहीं लिया है. इसके अलावा वह अन्य दलों से भी समर्थन की अपील करेंगे जो संप्रग के घटक नहीं हैं.