76 साल के प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था. यहां हम जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें...
नंबर 13 से अजब रिश्ता
उनका 13 से अनोखा नाता रहा है. वे 13 वें राष्ट्रपति बनने के लिए मैदान में उतरे. 13 नंबर का बंगला है दिल्ली में. 13 तारीख को आती है शादी की सालगिरह. इतना ही नहीं 13 जून को ही ममता ने प्रणब का नाम उछाला था.
'तुम इसी लाइफ में बनोगे राष्ट्रपति'
जब 1969 में प्रणब राज्यसभा के सदस्य बने तो उनका आधिकारिक घर राष्ट्रपति संपदा के पास ही था. राष्ट्रपति भवन के ठाठ को प्रणब खूब निहारा करते थे. एक दिन उन्होंने राष्ट्रपति की घोड़े वाली बग्गी को देखकर अपनी बहन अन्नापूर्णा बनर्जी से कहा कि इस आलीशान राष्ट्रपति भवन का आनंद उठाने के लिए वो अगले जन्म में घोड़ा बनना पसंद करेंगे. लेकिन तब उनकी बहन ने उन्हें कहा था - 'इसके लिए तुम्हें अगले जन्म तक रुकना नहीं पड़ेगा बल्कि इसी जन्म में तुम्हें इसमें रहने रहने का मौका मिलेगा.'
बचपन से ही थे जिद्दी
प्रणब मुखर्जी के जो तेवर आज दिखते हैं वही तेवर आज बचपन में भी दिखते थे. अपनी जिद्द के चलते उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा के दौरान डबल प्रोमोशन पाया. दरअसल दूसरी कक्षा में उन्होंने अपने परिवार वालों से मिराती गांव के स्कूल जाने से इंकार कर दिया. वह किरनाहर स्थित स्कूल में प्रवेश पाना चाहते थे. किरनाहर स्थित स्कूल पांचवी कक्षा से था. ऐसे में प्रणब ने किरनाहर के स्कूल में सीधे पांचवीं कक्षा में प्रवेश पाने के टेस्ट दिया और उसे पास भी करके दिखाया.
वीरभूम से दो देशों के राष्ट्रपति
प्रणब के राष्ट्रपति बनने पर वीरभूम का नाम ऐसे जिलों में शुमार हो जाएगा जहां से दो देशों के राष्ट्रपति संबंध रखते हैं. प्रणब से पहले इसी जिले में जन्मे अब्दुल सत्तर (दकर गांव में जन्मे) 1981 से 1982 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे. असल में वह विभाजन के बाद ढाका चले गए थे.
पिता स्वतंत्रता सेनानी तो भाई प्रोफेसर
प्रणब मुखर्जी के पिता कामदा किंकर मुखर्जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे और वो 10 वर्ष से भी अधिक जेल में रहे. उन्होंने 1920 से लेकर सभी कांग्रेसी आंदोलनों में हिस्सा लिया. वे अखिल भारतीय कांग्रेस समिति और पश्चिम बंगाल विधानपरिषद (1952- 64) के सदस्य व जिला कांग्रेस समिति, वीरभूम (पश्चिम बंगाल) के अध्यक्ष रहे. शुभ्रा मुखर्जी उनकी पत्नी हैं. प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक हैं. उनकी बेटी शर्मिष्ठा एक नृत्यांगना हैं. उनके भाई शांति निकेतन विश्व भारती यूनिवर्सिटी के इंदिरा गांधी सेंटर फॉर नेशनल इंटीग्रशन के डायरेक्टर पद से रिटायर हुए है.
इसके अलावा प्रणब दा चाकलेट खाना खूब पसंद करते हैं. चाचा चौधरी की कॉमिक्स के फैन रहे हैं. सुकांत भट्टाचार्य का लिखा और हेमंता मुखर्जी का गाया 'अबक पृथ्बी' उनका पसंदीदा गीत है. इसके अलावा रवीन्द्र संगीत भी वो काफी पसंद करते हैं.